उम्मीद कभी न छोड़ना ।
अगर कश्ती भी डूब जाती है।
कुछ तो बिखरता ही है ।
जब आँधियाँ निरतंर आती हैं ।
बंदे तू मुक़ाबला कर ।
अपनी हिम्मत और आस से ।
कभी भी न डगमगाना ।
खुद पर अपने विश्वास से ।
( किरण चावला )
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