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” कैरियर परामर्श एक आवश्यकता।”

भारत देश में जनसंख्या के बाद दूसरी बड़ी समस्या है, बेरोजगारी। रोज़गार कम हैं और नए रोजगार उत्पन्न करने की गति भी धीमी है। लेकिन खेद इस बात का है कि उपलब्ध रोजगार भी योग्य लोगों को प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। इसका कारण है जानकारी का अभाव। वर्तमान शिक्षा छात्रों को अक्षर ज्ञान तो करा रही है परंतु रोज़गार प्राप्त करने की दिशा नहीं बता रही है। अपने बलबूते पर अपनी पहचान बनाने के संस्कार पैदा नहीं कर पा रही है। इसी का परिणाम है कि छात्रों को उनके भविष्य की राह दिखाने में माता पिता के साथ साथ शिक्षक भी असफल हो रहे हैं। इसीलिए बेरोजगारी एक राष्ट्रीय समस्या बनी हुई है। इस स्थिति में कैरियर परामर्श आवश्यक हो जाता है। जिसमें छात्रों की रुचि के अनुसार रोजगार सुझाए जाते हैं ताकि छात्र उपयुक्त विषय में पढ़ाई कर सकें। अपनी रुचि का कार्य करने में जल्दी थकान नहीं होती है। अधिक समय तक पूरे मनोयोग से कार्य करने पर उस क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। छात्रों की योग्यता को परखने के लिए औपचारिक परीक्षा के साथ साथ कुछ अतिरिक्त परीक्षण भी कराए जाते हैं। जिनसे विभिन्न विषयों में छात्रों की रुचि का पता चल जाता है। छोटी कक्षाओं में पढ़ते पढ़ते ही यदि छात्रों की गतिविधियों पर ध्यान दिया जाए तो इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वह भविष्य में किस क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। किस क्षेत्र में उसे मेहनत करनी चाहिए।

बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले अधिकतर छात्र यही जानना चाहते हैं कि कौन सा क्षेत्र उनके लिए उपयुक्त है ?

इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले मैं बता देना चाहती हूं कि सभी क्षेत्र अच्छे हैं और कोई भी क्षेत्र काम करने में बुरा नहीं है। इसलिए अपनी रुचि के एक से अधिक क्षेत्रों की एक सूची बना लेनी चाहिए। उन क्षेत्रों में से किसमे अभी तक उपस्थिति है? और किसमे अभी तक केवल असफलता मिली है ? यह पता लगते ही हम अपनी रुचि का कार्य क्षेत्र चुन सकते हैं और उसमें उच्च सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

अर्चना त्यागी

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