बिना बुलाए क्रोध नहीं आता है,
निमंत्रण देने पर ही वहआता है.
स्वागत की पूरी तैयारी देखकर,
मन केआँगन में प्रवेश करता है.
अंदर घुसते ही तांडव-नृत्य कर,
अपनी हाजिरी दर्ज करवाता है.
शिव-तांडव का सबको पता है,
विध्वंस करने ही वह आता है.
क्रोध कभी तांडव करे ही नहीं,
इस हेतु संयम से काम लीजिए.
क्रोध के उठते तीव्र उफान को,
प्रेम के फुहारा से शांत कीजिए.
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