मेरे पतझड में फूल खिल आया
आज सुबह ही बेटे के लिए रिश्ता आया
मुझे भी सास बनने का जुनुन चढ़ आया
दिल में रंग बिरंगे फूलो का बगीचा उगाया
रिश्ते वालो की खातिर तव्वजो जम के की
बेटे की खामियाँ तारीफ में तब्दील की
उन्होंने भी बेटी के गुणो का किया बखान
समझ नहीं पाई मैं एकदम पूरा व्याख्यान
हमारी बेटी बहू बनाकर नहीं बेटी रूप में देगे
मेरे समधी गर्व से मुझे बता नहीं समझा रहे थे
कपडो पर खर्चा करने की जुरूरत न करना
जींसटाप बेलबाटम पे रिमार्क न करना
साडी ऑल्ड फेशन हो गयी है इसलिए
हमारी बेटी पहनेगी ये उम्मीद न करना
डायटिंग करती है भरपूर जाती है जिम
दालरोटी बहुत खा ली अब तुम सब
मिल कर स्पाउट्स खाना और खिलाना
रसोई की चिकचिक बाहर न पहुँचाना
हमारी बेटी बहुत है मिलन सार
सहेलियो बिन उसका चलेगा नहीं संसार
हर दिन घर में मेला लगायेगी
सहेलियों को वम्त बेवम्त घर बुलायेगी .
अरे आपके हाथ की बनी डिश खुद भी
खायेगी और सहेलियों को भी खिलायेगी
आपके लड़के को ऊँगली पर नचाने की
कोचिग क्लास से ले रही है आजकल ट्रेनिंग
लडका तुम्हारा चूँ तक न कर पायेगा
घर की व्यवस्था सुचारू रूप चलायेगा
तुम्हारी बेटी को ससुराल में जमने में मदद करेगी
ननद को कभी मायके आने के लिए न उक
सायेगी
अगर बेटी तुम्हारी त्यौहारो पर भी आई
ये आपके बेटे संग फौरन मायके आ जाएगी
आखिर यह तुम्हारे घर की वेलविशर है
इसीलिए अपनी ननद की इसको फ्रिक है
ससुरजी से हो जाएगी सुपर फ्रैण्डली
ऑफिस जाने लिए उन्हीं से लिफ्ट लेगी
तुम्हारी बहुत तारीफ सुनी है
बेटे के टिफिन की इंक्वायरी करवा ली है
इसलिए बेटी की ओर से निश्चित हो जायेगें
नाश्ते का टिफिन आप ही से बनवायेगे
आपको शासन से छुटकारे की उम्र समझायेगें
तिजोरी की चाबियाँ आप के हाथो दिलवायेंगे
अरे बाप रे एसा गज़ब ना ढ़ाना मेरे संग
सास के जूनूनें पलमें दिखादिये जीवनके रंग
टूट गयी मेरी सडनली सारी तन्द्रा
अभी बेटा 24का है चार वर्ष और ठहरना
बहु रहेगी बहू मैं सास का किरदार बदलूंगी
घर समाज में एक बखूबी मिसाल बनूँगी
आजकल जमाना बहु को बेटी बना रहा है
खुद को सास नहीं ‘बहू की माँ हूँ’ यही
घर भी घर जैसा बना रहेगा फिलहाल
बेटा बहू ससुर और ननद भी होगी खुशहाल
डॉ अलका अरोडा
प्रो० देहरादून