अर्चना भारद्वाज (दिल्ली)
फ़ेसबुक का विचित्र संसार
नित नए मनोरंजन व विचार
अजब इसकी माया नगरी
गज़ब का ये मायावी संसार
जाने कहाँ से अनूठे ढंग से
कितने लोगों को यह दिखाता
वर्षों लापता रहें जो हमसे
उनसे विस्मृत रिश्ते ये जुड़वाता
कुछ से छिपता और छिपाता
कुछ को देखता और दिखाता
कुछ को सामने लाइक करवाता
कहीं चुपचाप आगे बढ़ जाता
कहीं पर यहां खोया हुआ प्यार
छलक छलक कर बाहर आता
तो कहीं दिलों पर ये निष्ठुर
ईर्ष्या की दोधारी तलवार चलाता
जादुई तिलिस्म सा लगता है
इसका ये विचित्र संसार
मंत्रमुग्ध है पर इससे हर घर
डूबा इसके जादू में हर परिवार