हिंदी का कहना है रोज मैं रोती हूँ,
अपमान का घूंट प्रतिदिन पीती हूँ।
हिंदीभाषी घर में अंग्रेजी के शब्द,
मासूम के मुंह से जब मैं सुनती हूं।
‘ए’ से ‘जेड’और’वन’ से ‘हंड्रेड’ तक,
माँ-बाप उनको शान से सिखाते हैं।
‘अ’ से ‘ह’ और ‘एक’ से ‘सौ’ तक,
भूलकर भी जिह्वा पर नहीं लाते हैं।
इससे बढ़ कर और अपमान क्या?
दिल के टुकड़े मुझसे दूर हो रहे हैं।
विश्व हिंदी दिवस से तब लाभ क्या,
मुझे छोड़ बच्चेअंग्रेजी सीख रहे हैं।
बच्चों को हिंदी में ही शिक्षा देने का,
इस अवसर पर हिंदुस्तानी प्रण लें।
माँ के समान ही राष्ट्रभाषा हिंदी है,
ऐसी ही आत्मीयता बच्चों में भर दें।
डॉक्टर सुधीर सिंह