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आपका ध्यान किधर है?

जी हां जनाब, आपका ध्यान किधर है? शायद कहीं और ही व्यस्त हैं आप, तो चलिए जरा आपका ध्यान आपकी ‘व्यस्तता’ से थोड़ी ‘सैर’ पर ले चलते हैं, आपके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगी l तो जनाब हुआ यूं  कि बड़े बाजार की सबसे बड़ी कपड़ा दुकान के सेठ जी ने बड़ी तेज तर्रारी के साथ ‘सोशल मीडिया’ पर लिखा, धन्धा मंदा चल रहा है, मुनाफा नहीं हो रहा l सेठ जी के साथियों ने भरपूर लाइक किए , और फिर दिन भर चला टिप्पणियों का दौर l सारे व्यावसायी दिन भर उन टिप्पणियों में जुटे रहे और शाम को कइयों ने उस पोस्ट को साझा कर दिया, ‘धंधा मंदा चल रहा है’ l अब सेठ जी को कौन समझाए की उनका ध्यान किधर है, दिन भर जो ग्राहक आए वो नौसिखिए ‘छोटू’ ने वापस कर दिये क्यूंकि सेठ जी ‘बिजी’ थे l मोहल्ले के रहने वाले एक सज्जन फोन पर साथियों का ज्ञान वर्धन कर रहे थे, ‘यार बच्चों पर नजर रखनी चाहिए, हम मां बाप की जिम्मेदारी होती है उनको बेहतर संस्कार देना, आजकल के बच्चे बच्चे नहीं हैं बहुत एडवान्स हो गए हैं’, और जब वो फोन पर ज्ञान दान कर रहे थे तो इन्हीं सज्जन के बच्चे ने बाहर पड़ोसी के सिर पर पत्थर दे मारा l अब पड़ोसी चिल्लाया तो भाई साहब का ध्यान गया, फिर क्या l ‘बच्चा है भाई साहब, गलती हो गई’ l पड़ोसी भी बोल दिया, ‘ भाई साहब बच्चे पर ध्यान दीजिये’ l जनाब आज का आलम ये है कि आदमी फोन की कमियां फोन पर निकाल रहा है, और फिर कहता है ‘फोन बनाने वाले ने ही गलत बनाया’ l एक साहब अपने मित्रों को समझा रहे हैं, ‘ये ऑनलाइन टीचिंग एकदम बकवास है, बच्चे दिन भर फोन में लगे रहते हैं’ l अब इन भाई जी की कहानी यह है कि जब इनका बच्चा जिद्द करके रोता है तो घंटों उसे फोन में गेम खिलाते हैं और दूसरों को कहते हैं भाई साहब आपका बच्चा बिगड़ रहा है आपका ध्यान किधर है l आपको कुछ समझ आया? समस्या बस इतनी सी है कि हम सारा वक्त दूसरों के काम की कमियां निकालते हैं, दूसरों को उनके काम सिखाते हैं, दूसरों के दोष देखते रहते हैं और अपने खुद के काम पर ध्यान नहीं देते और अपने नुकसान का ठीकरा भी दूसरे के सिर फोड़ देते हैं l अपना काम ठीक से हो नहीं पाता और दूसरे के काम में टांग अड़ा देते हैं lतो जनाब बस इतनी सी बात है कि अपनी जिम्मेदारी पर इतना ध्यान दीजिये की किसी और को आपसे ये न कहना पड़े, ‘आपका ध्यान किधर है’ ll

मौलिक स्वरचना

– विभांशु दुबे ‘विदीप्त’

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