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प्रयास कर

ओढ़ कर सोया है सपने,

अब  नींद  कैसे  आएगी।

चाहता है,भौर खुशियो की,

ये चादर कहाँ अब भायेगी।।

उठ खड़ा हो , देर ना कर,

जिंदगी तेरी बदल जाएगी।

कदम बढ़ा कर चलता चल,

दुनिया  तेरे  पीछे  आएगी।।

काले काले बादलों की छाती

को वर्षा की बूंदे जब चीरेंगी।

तब  कहीं जाकर  धरती की,

गोद  मे  हरियाली  आएगी।।

नीरज त्यागी

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