Latest Updates

विरोध के स्वर

सुनो, विरोध के नवोदित स्वर
यह तो कीचड़ उछालना है
असुरों की प्रवृत्ति
तुम तो मनुष्य हो ना
संक्रमण से बचो
शब्दों को पहचानो
विरोध विरोध है
कीचड़ कीचड़ है!
सुनो, चीरहरण मत करो
भरी सभा में सभ्यता का
परनिंदा से पहले
अपने गिरेबान में झाँको
जिस पंथ की आड़ में खड़े हो
वह धृतराष्ट्र है औरों के लिए
तुम तो कर्णधार हो ना
दुर्योधन मत बनो!
सुनो, निकलो वातानुकूलित बैठक से
खोलो अपने चक्षु दूसरों के लिए
देखो सरीसृप- सी मानव जाति
दाने- दाने के लिए रेंगती
पढ़ो उसकी पलकहीन आंखें
सुनो उसकी चुप्पी
तुम तो बाज़ीगर हो ना
करो छूमंतर!
    – कुमार कौशिक
B-582, MIG Flats East of Loni Road
Delhi-110093
M – 9350486426

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *