माँ (कविता-8)
माँ मेरी माँ है सबसे प्यारी इस जग में है सबसे न्यारी सुबह सवेरे जग जाती है सबको सुलाकर सो जाती है सबको यत्न से खूब संवारती स्वयं को सहज ही भूल जाती मेरी माँ… आज खुजतो हूँ तुम्हें तारों में, फूलों में, गलियारों में, एक बार सीने से लगा जाओ बाँहों में अपनी सुला…