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आज का पत्रकार

पत्रकारिता को बेशर्मो ने जाने क्या बना दिया। चमचागिरी ने सभी को आज बहुत गिरा दिया।। वो पत्रकार जो आज बहुत चिल्ला रहे है। ना जाने किस नेता की कमर सहला रहे है।। बहुत  ही  पाक  पेशा  होता  है  पत्रकार  का, चंद रुपयों की चाहत में उस पर दाग लगा रहे है। बहुत समय लगता…

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क़लम से कलाम के दफ़्तर तक

कविता मल्होत्रा (वरिष्ठ समाजसेवी एवं स्तंभकार -उत्कर्ष मेल) क़लम से कलाम के दफ़्तर तक पहुँचना हर किसी के बस की बात नहीं है।जिस क़लम की बुनियाद में सँस्कृति के बीज फलित होते हैं और मानवतावादी फ़सल का अँकुरण होता है, उस क़लम को ही साहित्यिक समाज में उच्चकोटि  का सम्मान मिलता है। मानव मूल्यों को…

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गर यदि

बाजार में बिक जाते गर यदि गम सारे बेच देते खुशियों की दुकान होती गर यदि थोड़ी सी खरीद लेते। सोने से थकान मिट सकती है दर्द नहीं मिटते नीदों में आने वाले स्वप्न हमेशा साकार नहीं होते। बिछड़ जाएं मुसाफिर गर यदि वापिस नहीं मिलते रास्ते सैकड़ों हैं जाने के लेकिन सब मंजिल पर…

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नफरतों की क्यों खड़ी दीवार

नफरतों की क्यों खड़ी दीवार तेरे शहर में। ढूँढता मैं फिर रहा हूँ प्यार तेरे शहर में। गाँव जैसी बात होती ही नहीं है आपसी हो गया हूँ मैं तो बस लाचार तेरे शहर में। देखता हूँ मांगते हैं सब दुआ ही या दवा हैं सभी ही लग रहा बीमार तेरे शहर में। चीज़ हर…

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एक झूठ

एक प्रसिद्ध पत्रिका में लिखी हुई समस्या उसे अपने एक परिचित की समस्या सी लगी।थोड़ा सा और पता करने पर उसे महसूस हुआ कि यह कहानी तो शायद उसी परिचित व्यक्ति की है । उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर अपने मायके में रह रहीं थीं ।वे उनके ही पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी थे ।              …

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झूठ का पौधा उगाया जा रहा है….

झूठ का पौधा उगाया जा रहा है सत्य से उसको सजाया जा रहा है बह रही थी जो हवा उपवन डुलाती आंधियाँ उसको बताया जा रहा है         झूठ का पौधा उगाया जा रहा है         सत्य से उसको सजाया जा रहा है…. कह रहे वो हो रहा जो भोर वह है दिख रहा जो…

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आइए जलते हैं

आइए जलते हैं दीपक की तरह। आइए जलते हैं अगरबत्ती-धूप की तरह। आइए जलते हैं धूप में तपती धरती की तरह। आइए जलते हैं सूरज सरीखे तारों की तरह। आइए जलते हैं अपने ही अग्नाशय की तरह। आइए जलते हैं रोटियों की तरह और चूल्हे की तरह। आइए जलते हैं पक रहे धान की तरह।…

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सोच सको तो सोचो

गिलगित बाल्तिस्तान हमारा है हमको लौटाओ। वरना जबरन ले लेंगे मत रोओ मत चिल्लाओ।। खून सने कातिल कुत्तों से जनता नहीं डरेगी। दे दो वरना तेरी छाती पर ये पाँव धरेगी।। तेरी मेरी जनता कहने की ना कर नादानी। याद करो आका जिन्ना की बातें पुन: पुरानी।। देश बाँटकर जाते जाते उसने यही कहा था-…

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सच्चा है एक प्यार तुम्हारा

सच्चा है एक प्यार तुम्हारा। बाकी तो सब यहाँ  झूठ हैं।। फैला हिय दीपक उजियारा। बाकी तो सब भृम रूप हैं।। इत उत ढूंढे कण कण में। पल्लवित तेरा ही स्वरूप है।। मूढ़ मन को समझ न आये। गूढ़ तेरा हर मन रूप हैं।। नैनो में दर्शन की चाह । तू नैनो में ही समाया…

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शिवसेना की फजीहत !

राजनीति के द्वंद्व मे फँसी शिवसेना महाराष्ट्रा मे आजकल बिना पेंदी के लोटा हो गयी है । धृतराष्ट्र बने ऊधव ठाकरे , बेटे आदित्य को सी ऍम बनाने के लिए हर विचारधारा को मानने को तैयार बैठे है ।  यकीन नही होता की जिस बाला साहेब ठाकरे ने मातोश्री से राजनीति की शुरुआत की और…

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