पृथ्वी का मौन
आज बैठी हूँ मैं उदास लिखने जा रही हूँ कुछ खास इस महामारी के चलते लोग नहीं हैं आसपास किसी ने नहीं सोचा था कि कोर्इ समय ऐसा आयेगा, इन्सान इन्सान से मिलने के बाद पछितायेगा। कैसे हैं आज के समय के फसाने, लोग ही लोगों को लगे हैं डराने। क्या यह हमारी गलती है…