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मित्रता दिवस पर सखी को समर्पित कविता

मंजू लता हे ! सखी फ़िर कब मिलेंगेयाद आती हैं तुम्हारीखोजती हैं आंखे तुम्हारी चंचलतातुम्हारे कोमल अधरों की मुस्कुराहट हे ! सखी फ़िर कब मिलेंगेखोजती हैं मेरी आंखे तुम्हारा भोलापनमेरा रूठना तुम्हारा मनानासाथ ही डेरी मिल्क गिफ्ट करना हे ! सखी फ़िर कब मिलेंगेयाद आती हैं क्लास की बातेएक दूसरे में खोकर खाली पीरियड मेंबाते…

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कच्चे धागों का पक्का बंधन रक्षाबंधन का त्योहार

डॉक्टर सुधीर सिंह कच्चे धागों का पक्का बंधन रक्षाबंधन का त्योहार,पूजा की थाली में राखी बहन का  है अनुपम प्यार. भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक यह पावन पर्व,वर्ष में एक बार आता है भाई-बहन का यह उत्सव. ससुराल में बस गई बहना करती  भैया का इंतजार,रेशम की डोरी में लिपटा है बहन काअनमोल प्यार….

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