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फिल्मी बुतों के विसर्जन का अवसर

यशपाल सिंह यश ‌आजकल बॉलीवुड चर्चा में है। बॉलीवुड हमेशा ही चर्चा में रहा है । जब से बच्चा जवान होना शुरू होता है फिल्मी सितारे उसके स्वप्नलोक का हिस्सा बन जाते हैं । उन्हें देखना अच्छा लगता है, उन्हें सुनना अच्छा लगता है, उनकी बातें करना अच्छा लगता है। विज्ञापनदाता इस बात को खूब…

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घर वही,जहाँ बुढ़ापा खिलखिलाये

किसी ने सच ही कहा है कि जिस घर मे बुजुर्ग सन्तुष्ट व प्रसन्नचित्त रहते हैं,वह घर धरती पर स्वर्ग के समान है,परन्तु आज आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में रिश्तों में उत्पन्न व्यवहारिकता व आपसी सामंजस्य व  घटती सम्मान की भावना के कारण ऐसा स्वर्ग अब अपवाद का रूप लेता जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में…

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बिन बेटी सब सून !

जीवन में आनंद का, बेटी मंतर मूल ! इसे गर्भ में मारकर, कर ना देना भूल !! बेटी कम मत आंकिये, गहरे इसके अर्थ ! कहीं लगे बेटी बिना, तुझे सृष्टि व्यर्थ !! बेटी होती प्रेम की, सागर सदा अथाह ! मूरत होती मात की, इसको मिले पनाह !! छोटी-मोटी बात को, कभी न देती…

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कृषि संशोधन बिल से किसानों को राहत देने की कोशिश !

केंद्र सरकार ने बीते दिनों राज्य सभा में कृषि संशोधन बिल पास कराया जिसपर विपक्ष ने जम कर हंगामा काटा । सरकार ये जो तीन बिल किसानों के हित में लेकर अाई है उससे पंजाब की राजनीति में हाहाकार मचा हुआ है । पंजाब के किसानों में सबसे अधिक बेचैनी देखी जा रही । केन्द्र…

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गाँधी जयंती पर आइये कुछ नया सोचें

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (सम्पादकीय) एक बार फिर आप सभी को गांधी जयंती की बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएं ।पिछले वर्ष हमने गाँधी मनाई और स्वच्छता अभियान भी जोरशोर से चलाने की बात हुई । कुछ हद तक सफल भी हुए सफाई अभियान में । आपको भी स्मरण होगा कि गाँधी जी का एक चित्र् जो अधिकांश…

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बालकथा – बापू के जन्मदिन

राजू एक नवी कक्षा का छात्र है और अपने घर के पास ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ता है।राजू बचपन से ही पढ़ने बहुत होशियार विद्यार्थी है।लेकिन उसके दिमाग की सारी अच्छाइयां उसके गणित के अध्यापक के सामने खत्म हो जाती हैं। वह लगातार अपने गणित के अध्यापक के हाथों डांट खाता रहता है और…

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कविता क्या है

कविता क्या है शब्दों के अथाह समंदर से चुनकर पिरोई गई शब्दों की माला। जब कवि के ह्रदय में प्रज्वलित होती है ज्वाला तन मन यूँ सुलगे जैसे पी आया हो हाला तब बनती है शब्दों की माला । कविता क्या है शब्दों के फूलों से सजाया गया शब्दों का गुलदस्ता । जब कवि के…

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जिसे तू क़बूल कर ले वो दुआ कहाँ से लाऊँ

कविता मल्होत्रा (स्थायी स्तंभकार) स्वार्थ साधते, नए युग में पदार्पण, खुद आगे बढ़ने के लिए दूसरों को नीचे गिराता मानवता का पतन, नई सदी में अपनत्व का तर्पण, क्या यही है मेरे सपनों का भारत? जब तक समूचे वतन की सम्मिलित सोच इस समस्या का सामूहिक समाधान नहीं तलाशेगी, तब तक, कोई हल नहीं निकलने…

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भारत में उतर आए भगवान

भारत में उतर आए भगवान मगर नहीं समझा इंसान सफेद सफेद कपड़ों को पहने ऊपर नीली पहनी पोशाक क्यों मुंह पर लगाया मास्क अरे इतना तो तू जान। जमीं पर उतर आए भगवान। सारे रोगों से तुझे बचाएं लगा दांव पर अपनी जान जमीं पर उतर आए भगवान। पूजा इनकी कर ले ह्रदय में रख…

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