ज़िन्दगी के रंग
ज़िन्दगी एक पहेली सी लगती है, दुखो की छाव एक सहेली सी लगती है । हम तो बैठे थे इक आशा की किरण थामे पर अब आशा करना एक नादानी सी लगती है । ज़ख्म जैसे भी हो हमेशा दर्द ही देते है , अब तो ख़ुशी महसूस करना भी , इक बात पुरानी लगती…
ज़िन्दगी एक पहेली सी लगती है, दुखो की छाव एक सहेली सी लगती है । हम तो बैठे थे इक आशा की किरण थामे पर अब आशा करना एक नादानी सी लगती है । ज़ख्म जैसे भी हो हमेशा दर्द ही देते है , अब तो ख़ुशी महसूस करना भी , इक बात पुरानी लगती…
आज के समाज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के विचार निसंदेह प्रासंगिक है । जिस सत्य अहिंसा और सद्भाव की बात राष्ट्रपिता गांधी करते थे वो आज के वर्तमान समय में लालच लाचारी और भ्रष्टाचार की भेट चढ़ चुकी है । प्रत्येक वर्ष हम दो अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी का…
पंजाब नेशनल बैंक के चीफ मैनेजर बरियार साहब अनुशासन के मामले में कोई, किसी प्रकार से समझौता नही कर सकते थे या नहीं करते थे।अनुशासन के पक्के होने के कारण पूरे राज्य के सभी बैंक के लोग(कर्मी)उन्हें जानते थे।किसी भी शाखा में पदस्थापना होने पर उनके योगदान करने से पूर्व ही उस बैंक के सभी…
बस बहुत हो चुका हलवा- पूरी कन्या पूजन भी बहुत हुआ अब नहीं सुरक्षित कहीं बेटियां सब कर रहे कर- बद्ध प्रार्थना नवरात्रों में भोग लगाने अब घर- घर मत आओ माँ कितनी निर्भया और बलि चढ़ेंगी ? आज हमें बतलाओ माँ मैया सीता तो निष्कलंक थी क्यूंकि लंका में रावण था जनक नंदिनी निष्कलंक…
1.कमल आसना शारदा, करो मेरा उद्धार। विद्वजनों में मान हो,लेखन में हो धार।। 2. विद्या दान महा दान , समझो रे नादान। किसी को शिक्षित न किया,तो कैसे विद्वान।। 3. विद्यावान बनें सभी,करें राष्ट्र निर्माण । बेटा बेटी सब पढ़ें,तब ही हो उत्थान।। 4. बेटी को पढ़ाने में क्यूँ आती है लाज । बेटा भविष्य…