होली महापर्व
विधा:-विधाता छंद मनाते होलिका मन से, सभी त्यौहार से बढ़कर। बनें पकवान पूजा के, गुलरियों माल घर रख कर। बड़ी होली रखें गावों, लकडियाँ बीच में रख कर। सुहाना फाल्गुन महीना, मनाते पूर्णिमा तिथि पर॥ जलाते पूजकर होली, सभी जन फाग गाते हैं। जलाने घर रखी होली, वहीं से आग लाते है। नये गेंहू भुजीं…