Latest Updates

होली महापर्व

विधा:-विधाता छंद मनाते होलिका मन से, सभी त्यौहार से बढ़कर।  बनें पकवान पूजा के, गुलरियों माल घर रख कर।  बड़ी होली रखें गावों, लकडियाँ बीच में रख कर।  सुहाना फाल्गुन महीना, मनाते पूर्णिमा तिथि पर॥  जलाते पूजकर होली, सभी जन फाग गाते हैं।  जलाने घर रखी होली, वहीं से आग लाते है।  नये गेंहू भुजीं…

Read More

फागुन का ये मौसम है

बृज छोड़ के मत जइयो,फागुन का ये मौसम है,मोहि और न तरसइयोफागुन का ये मौसम है। मैं जानती हूं जमुना तीर काहे तू आए,हम गोपियों के मन को कान्हा काहे चुराए, जा लौट के घर जाइयो,माखन चुराके खाइयो,पर चीर ना चुरइयो,फागुन का ये मौसम है। इस प्यार भरे गीत के छंदों की कसम है,तोहि नाचते…

Read More

गोकुल ने रंग लगाया

सतरंगी डोली में बैठीहोली आई रे। ऋतु बसंत की ओढ़ चुनरिया होली आई रे। मधुऋतु की आंखों को जब,मौसम ने किया गुलाबी,बासंती बयार ने फागुन,को कर दिया शराबी। झूम-झूम कर फाग सुनाती होली आई रे। हर आंगन में रंग बिछे हैंमन की चूनर गीली,धरती गगन हुए सतरंगे,प्रकृति हुई रंगीली। लगा प्रीति का काजल देखो होली…

Read More

पावन होली की हार्दिक शुभकामनाएं : डॉक्टर सुधीर सिंह

पावन होली की हार्दिक शुभकामनाएं,हर हिंदुस्तानी यहां  सुखी-समृद्ध रहे।सबों के मन में रहे  भाईचारे का भाव,प्रगति-पथ पर सब  सदा अग्रसर रहे। प्रेमपूर्ण परिवेश के रंग में रंग जाने से,फाग का राग दिल गाने लग जाता है।थिरकने लगता है अधर गीत सुनकर,ढोल,मृदंग पर थाप बरसने लगता है। गुलाल की खुशबू  से  भींगा माहौल,वसंत का एहसास  कराने…

Read More

होली खेलते हैं

होली खेलते हैंचलो हम होली संग खेलते हैचलो हम होली रंग खेलते हैबसंत ऋतु में फागुन माह मेंचंग की थाप पर खेलते हैइंद्रधनुषी रंग बरंगी गुल फूल खिलेभंवरा गीत गुनगुनाते होली खेलते हैलहंगा-चोली भीगी रंगा सारा बदनमुखड़े पर लाली होली खेलते हैंनाचें गीत फाग गाये संग सखियांअखियां चमके काजल होली खेलते हैंहोलिका जली मची खलबली…

Read More

गीत ये बन पाए हैं

गीत ये बन पाए हैं जिगर को चीर के ,बाहर ये निकाले मैंने ,फिर ये अरमान ,आंसुओं में उबाले मैंने ,तब कहीं जा के ,विरह गीत ये बन पाए हैं । इनके सीने में गम ,के तीर चुभाये मैंने ,दिल पै अपनों के दिये ,जख्म दिखाए मैंने ,तब कहीं जा के ,विरह गीत ये बन…

Read More

बेटियों को मत दो गलत सलाह

अवनीश जी की लड़की अपना ससुराल छोड़कर वापस मायके आ गई। सबने वर पक्ष की ही गलती बताई। विवाह के मात्र 6 महीने पश्चात लड़की घर वापस आ गई। खूबसूरत शौकत से विवाह किया गया था। दोनों पक्षों की तरफ से अधांधुध पैसा भी बहाया गया। शुरू में महीना भर तो सही चला। किंतु उसके…

Read More

तुम्हारी जय जय

रचयिता डॉ. सर्वेश कुमार मिश्र काशीकुंज जमुनीपुर प्रयागराज तुम्हारी जय जय तुम्हारी जय जय हे  भूमि भारत! तुम्हारी जय जय मैं पूज्य बापू की साधना हूं, आज़ाद शेखर की कल्पना हूं, सुभाष की मैं वो कामना हूं, सिंह भगत की संवेदना हूं, शुद्ध आचरण की रीतिका हूं मैं राष्ट्र देवी की दीपिका हूं। तुम्हारी जय…

Read More

 नशे के मरघटघट (धूम्रपान निषेध दिवस पर)

 घट रहीं सांसें सिसकती जा रही है जिंदगी, जिंदगी को विष नशीला दे रही है जिंदगी। विषैली खुशियां लपेट तन यहां पर थिरकते, निराशा के द्वीप में अनगिन युवा मन भटकते, खिलखिला कर फिर सिसकियां भर रही है जिंदगी। जिंदगी को विष नशीला दे रही है जिंदगी। पी रहे हैं सुरा को या सुरा उनको…

Read More

ये कैसी अजब नगरी है

ये कैसी अजब नगरी है जहाॅं कोई राजा  और कोई रंक है कोई आसमान में बैठा कोई ज़मीन की धूल में लेटा है कोई ऐसी के आलिशान कमरों में सोता तो कोई सड़क के किनारे फुटपाथ पर सारी रात जागता है कोई फाईव स्टार होटल में आराम से बढ़िया व्यंजन खाता तो कोई उनकी जूठन…

Read More