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कितना प्यार किया है तुमसे,

कितना प्यार किया है तुमसे, जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे। थोड़ा-थोड़ा करके खुद को, सौंप दिया है पूरा तुमको तोड़ो, जोड़ो या बिखरा दो, इससे क्या लेना है हमको। सहज मिलन है, शुक्र खुदा का नहीं मिलेंगे तब मानोगे। जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे।। थोड़ा तोलमोल सीखो तुम, शब्दों के खंजर होते हैं। बार बार दोहराने से…

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मधुबन ही मधुबन हो (श्रंगार गीत)

गूंथ लिया सारा बसंत अपने जूड़े में ,मौसम कहता है तुम फागुन ही फागुन हो। होटों से लिपट लिपट मखमली हंसी तेरी,दूधिया कपोलों का चुंबन ले जाती है।झील के किनारों को काजल से बांधकर,पनीली सी पलकों में सांझ उतर आती है। महावारी पैरों से मेहंदी रचे हाथों तक,छू छू कर कहे हवा चंदन ही चंदन…

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कालचक्र : कुछ सच, कुछ कल्पना

कवि और कविता का सम्बन्ध अन्योन्याश्रित ही माना जाता रहा है। यह किसी विद्वत्जन का कथन तो नहीं पर आज कवि वही है जो कविताओं की रचना करता है तथाकविता भी वही जोअपने रचयिता को कवि की संज्ञा दे सकती है। दोनों एक दूसरे के आधार हैं।आज का कवि अपनी रचनाओं में अपने अन्तर की…

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी की पुण्यतिथि

विधा:-दोहा छंद पोरबॅंदर गुजरात में, करमचंद के पूत। राजनीति के चाॅंद थे, भारतवर्ष सपूत॥ मोहनदास जहान में, दो अक्टूबर जन्म। अठारह सौ उनत्रवाॅं, सन था हिन्दू धर्म॥ सत्य अहिंसा पूजते, जपें राम का नाम। आजादी में भूमिका, सत्याग्रह संग्राम॥ भारत में पदवी मिली, राष्ट्रपिता सरनाम। “लक्ष्य”महात्मा का मिला,जीवन में उपनाम॥ जीवन जीया सादगी, रहा मृदुल…

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सबके मन में बसे हैं राम,

सबके मन में बसे हैं राम, जय जय जय जय जय श्री राम| सजी अयोध्या आओ धाम, जय जय जय जय जय श्री राम|| कब आयेगें प्रभु धनु धारी, राह देखते सब नर नारी, करता नही कोई कुछ काम जय जय जय जय जय श्री राम| बेर लिए बैठी है शबरी, उत्सुक है किष्किंधा नगरी,…

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सेवानिवृति पर याद आते सेवा वृद्धि के पल

अफवाओं उड़ने का दौर चलता है वैसे अप्रेल फूल तो है ही लेकिन अभी हवा उड़ी की 62 के बजाए 63 होगी सेवानिवृति ।बाबूजी को सेवानिवृति के दिन नजदीक आते वैसे वे  तीर्थ ,सामाजिक दायित्व  आदि कार्य निभाने हेतु सेवानिवृति पश्च्यात किये जाने वाले कार्य  की बातें सब को बताते और अपने कार्यकाल की बातों…

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गांठे अंतर्मन की

जब से रेनू के देवर का रिश्ता तय हुआ था, रेनू के व्यवहार में एकदम परिवर्तन आ गया। देवरानी के लिए हो रही तैयारियों को देखकर उसके मन में जलन उत्पन्न होती। हर वक्त अपने समय की तुलना करती। घर में कलेश तक काटने लगती। उसका पति शाम को थका हारा घर आता। रेनू उसे…

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मौसम के रंग हेमंत के संग

मौसम कहता, पतझर है पर अभी नहीं आ गया मधुमास, परन्तु पीपल बृक्ष से चिपके सूखे पत्ते, हवा में हिलते डुलते जैसे बाय-बॉय करते कह रहे हों पतझर को  “जान बाँकी है अभी मुझमें” जैसे किसी बृद्ध की जान अटकी हो अपने नये वंशज को देखने के लिये। नौखेज पत्ते लगे हैं दिखने बृक्ष की…

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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्री राम

विधा -संस्मरण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्री राम को जब मैं हिंदू समाज में देखती हूं, तो हृदय बड़ा व्यथित होता है। जब श्रीराम और रामचरित मानस पर लोग उंगली उठाते हैं। तो मैं यही सोचकर मन शांत कर लेती हूं कि दुष्ट, दुर्जन, असुर प्रत्येक युग में जन्मते हैं। चाहे सतयुग, त्रेता, द्वापर ,कलयुग हो।…

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भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर

#karpuri thakur #bharatratna विधा:-दोहे भारत के राज्य बिहार, था पितौंझिया ग्राम।  जिला रहा समस्तीपुर, राजनीति सरनाम॥  जन्म स्थली प्रसिद्ध हुई, अब कर्पूरी ग्राम।  त्याग गवाही दे रहा, कर्पूरी का नाम॥  कर्पूरी ठाकुर जन्म, लेते हिन्दू धर्म।  पिता गोकुल घर पेशा, नाईगीरी कर्म॥  माँ रामदुलारि देवी, सन उनीस चौबीस।  जननायक अवतार लें, माह जनवरी बीस॥  बडा़…

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