कविता और कहानी
सबके मन में बसे हैं राम,
सबके मन में बसे हैं राम, जय जय जय जय जय श्री राम| सजी अयोध्या आओ धाम, जय जय जय जय जय श्री राम|| कब आयेगें प्रभु धनु धारी, राह देखते सब नर नारी, करता नही कोई कुछ काम जय जय जय जय जय श्री राम| बेर लिए बैठी है शबरी, उत्सुक है किष्किंधा नगरी,…
सेवानिवृति पर याद आते सेवा वृद्धि के पल
अफवाओं उड़ने का दौर चलता है वैसे अप्रेल फूल तो है ही लेकिन अभी हवा उड़ी की 62 के बजाए 63 होगी सेवानिवृति ।बाबूजी को सेवानिवृति के दिन नजदीक आते वैसे वे तीर्थ ,सामाजिक दायित्व आदि कार्य निभाने हेतु सेवानिवृति पश्च्यात किये जाने वाले कार्य की बातें सब को बताते और अपने कार्यकाल की बातों…
गांठे अंतर्मन की
जब से रेनू के देवर का रिश्ता तय हुआ था, रेनू के व्यवहार में एकदम परिवर्तन आ गया। देवरानी के लिए हो रही तैयारियों को देखकर उसके मन में जलन उत्पन्न होती। हर वक्त अपने समय की तुलना करती। घर में कलेश तक काटने लगती। उसका पति शाम को थका हारा घर आता। रेनू उसे…
मौसम के रंग हेमंत के संग
मौसम कहता, पतझर है पर अभी नहीं आ गया मधुमास, परन्तु पीपल बृक्ष से चिपके सूखे पत्ते, हवा में हिलते डुलते जैसे बाय-बॉय करते कह रहे हों पतझर को “जान बाँकी है अभी मुझमें” जैसे किसी बृद्ध की जान अटकी हो अपने नये वंशज को देखने के लिये। नौखेज पत्ते लगे हैं दिखने बृक्ष की…
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्री राम
विधा -संस्मरण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में श्री राम को जब मैं हिंदू समाज में देखती हूं, तो हृदय बड़ा व्यथित होता है। जब श्रीराम और रामचरित मानस पर लोग उंगली उठाते हैं। तो मैं यही सोचकर मन शांत कर लेती हूं कि दुष्ट, दुर्जन, असुर प्रत्येक युग में जन्मते हैं। चाहे सतयुग, त्रेता, द्वापर ,कलयुग हो।…
भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर
#karpuri thakur #bharatratna विधा:-दोहे भारत के राज्य बिहार, था पितौंझिया ग्राम। जिला रहा समस्तीपुर, राजनीति सरनाम॥ जन्म स्थली प्रसिद्ध हुई, अब कर्पूरी ग्राम। त्याग गवाही दे रहा, कर्पूरी का नाम॥ कर्पूरी ठाकुर जन्म, लेते हिन्दू धर्म। पिता गोकुल घर पेशा, नाईगीरी कर्म॥ माँ रामदुलारि देवी, सन उनीस चौबीस। जननायक अवतार लें, माह जनवरी बीस॥ बडा़…
परियों की नन्ही शहजादी
परीलोक से परियों की नन्ही शहजादी आई,नन्हे हाथों के नन्हे पंखों से उड़ कर आई। उससे बातें करते रहना,कितना अच्छा लगता,जी भर कर देखें उसको पर,कभी नहीं जी भरता। इंद्रलोक की सबसे सुंदर सूरत लेकर आई।घर के मधुबन की क्यारी में ज्यों बसंत ऋतु आई।परीलोक से परियों की नन्ही शहजादी आई। सुंदर हीरे मोती सी…
अवध में राम आए हैं
– रवीन्द्र जुगरान कलयुग में त्रेतायुग के, सरकार आए हैं। देखो-देखो आज अवध में, राम आए हैं।। जग नियंता सीताराम, मन मंदिर में बसे हुए। भारत की माटी में खेलकर , दशरथ नंदन बढ़े हुए।। जीवन में संबंधों की, मर्यादा लाए हैं। ग्राम- नगर में खुशियों के, अम्बार छाए हैं।। …
रामजी तुमको आना पड़ेगा
राम मंदिर बनाया है मन को,राम जी तुमको आना पड़ेगा। मेरा दिल है अयोध्या तुम्हारी,मिथिला नगरी है धड़कन हमारी।मेरी सांसों की नगरी में आकर,उम्र भर तुमको रहना पड़ेगा। आखिरी शाम जीवन की आये,मेरे प्रभु आना तुम बिन बुलाए।मेरा सर रख के गोदी में अपनी,मेरे भगवन सुलाना पड़ेगा। चार कंधों का लेकर सहारा,कैसे ढूंढ़ूगा मैं घर…
जलाओ री सखी मंगल दीप!
जलाओ री सखी मंगलदीप,आज घर आये हैं राजा राम।राह बुहारो ये महल सजाओ ,आयो शुभ घड़ी ये वर्षों बाद।फूलों का वन्दनवार लगाओ,आये हैं जग के ही तारनहार।जलाओ री सखी मंगलदीप——-।शुभ ये घड़ी शुभ गीत सुनाओ,मिलजुलकर सब नाचो गाओ।सदियों से इन्तजार था इसका,आयो शुभ दिन है वह आयो।पांव पखारो जी आरती गावो,झूमि उठे सकल संसार सखी।जलाओ…