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ग्रहण

होती है सिर्फ़ एक खगोलीय घटना ये सूर्य ग्रहण या फिर चंद्र ग्रहण किंतु हो सकते हैं कई दुष्प्रभाव भी इनके करते करते परिक्रमा आता जब चंद्रमा बीच में धरती और सूर्य के तो ढाँप कर सूर्य को कर देता उसे तेजहीन रुक सा जाता है कुछ समय के लिए मानो जीवन ही कहलाता है…

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एक बैठक

एक दिन सभी महिलाओं के आत्मसम्मान  एवं  भावनाओं ने बैठक रखी। दूर एक निर्जन पहाड़ी की चोटी पर, जहाँ कोई मनुष्यरूपी प्राणी नहीं पहुंच पाता, सभी मिले। उनका साथ देने के लिए कल-कल बहती नदियां, ऊँची पहाडियाँ, आकाश में उड़ते पंछी थे। उनका हौसला बढ़ाने के लिए सूरज भी चमक रहा था और बादल भी…

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‘प्रवासी मजदूर और बरसात का कहर’-

आज सारे संसार के सामने कोरोना महामारी का प्रकोप पांव पसार खडा़ है, मानव को झंकजोर कर रख दिया है.एक दूसरे की संवेदना शून्य सी जान पडती है. विश्व की सभ्यता, संस्कृति और सामाजिक ढांचे में अचानक बदलाव आया है, इन सब का शिकार मजदूर वर्ग हुआ है. भारत में प्रवासी मजदूरों के साथ एक…

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लाॅकडाउन

            करीब चार महीने पहले ई रिक्शा पर कुछ सामान लादकर एक आदमी किराए का   एक कमरा खोज रहा था। उसके साथ उसकी पत्नी और दो बच्चे  भी थे जो बार बार रिक्शे से बाहर झांक रहे थे। शायद उनमें उस घर को देखने की उत्सुकता हो रही होगी जहां उनको रहना था। उन चारों…

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ग़ज़ल

कभी बैठकर कभी लेटकर चल कर रोये बाबू जी, घर की छत पर बैठ अकेले जमकर रोये बाबू जी। अपनों का व्यवहार बुढ़ापे में गैरों सा लगता है, इसी बात को मन ही मन में कह कर रोये बाबू जी। बहुत दिनों के बाद शहर से जब बेटा घर को आया, उसे देख कर खुश…

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नया पकवान

एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए जाने का हुक्म दिया। सबसे बड़े मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश की। राजा ने उस…

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मातृभूमि

देखो मदान्ध हो ड्रैगन ने, फिर हमको ललकारा है। स्वर्गादपि गरीयसी इस मातृभूमि, का कण कण हमको प्यारा है।। आत्मनिर्भर हो भारत अपना , अखंड राष्ट्र का नारा है । चीनियों का बहिष्कार हो , राष्ट्र धर्म हमारा है ।। मानसरोवर का खौलता जल , हिम बना धधकता अँगारा है । बच्चे- बच्चे का अंग…

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सदियों तक पीड़ा सहकर …..

सदियों तक पीड़ा सहकर हमने ये दौलत पाई है घना उजाला दिखता बाहर , भीतर तो तन्हाई है । अंतस् में कई प्रश्न गूंजते , क्या ये पीर पराई है रूखे- सूखे रिश्ते ढोना,ये भी तो इक सच्चाई है सदियों तक पीड़ा सहकर हमने ये दौलत पाई है । तन पूरा ,मन रहा अधूरा, कितनी…

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मेरा गांव बदल रहा है,

अम्बरीश श्रीवास्तव मेरा गांव बदल रहा है, सोया हुआ रक्त उबल रहा है। पहले मिलजुल कर रहते थे, अब एक दूसरे को निगल रहा है ।। सुना था मकान कच्चे है पर रिश्ते पक्के होते थे गांव में । बच्चे बूढे, हारे थके श्रमिक किसान सब खुश थे छाव में ।। आज छांव छितर गई…

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लाॅकडाउन

                 इलाहाबाद यानी प्रयागराज अपने आप में एक सम्पूर्ण और गौरवशाली नगरी रही है। महानगरों की तुलना में बिल्कुल शांत शहर मगर शिक्षा के क्षेत्र में उनसे कहीं आगे।यह शहर प्रतिभाओं की नगरी भी कहा जाता है। किसी समय यहां बाहरी लोग भी यदि पानी मांग लें तो उन्हें पानी के साथ साथ कुछ मीठा…

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