कविता और कहानी
बेटियों को मत दो गलत सलाह
अवनीश जी की लड़की अपना ससुराल छोड़कर वापस मायके आ गई। सबने वर पक्ष की ही गलती बताई। विवाह के मात्र 6 महीने पश्चात लड़की घर वापस आ गई। खूबसूरत शौकत से विवाह किया गया था। दोनों पक्षों की तरफ से अधांधुध पैसा भी बहाया गया। शुरू में महीना भर तो सही चला। किंतु उसके…
तुम्हारी जय जय
रचयिता डॉ. सर्वेश कुमार मिश्र काशीकुंज जमुनीपुर प्रयागराज तुम्हारी जय जय तुम्हारी जय जय हे भूमि भारत! तुम्हारी जय जय मैं पूज्य बापू की साधना हूं, आज़ाद शेखर की कल्पना हूं, सुभाष की मैं वो कामना हूं, सिंह भगत की संवेदना हूं, शुद्ध आचरण की रीतिका हूं मैं राष्ट्र देवी की दीपिका हूं। तुम्हारी जय…
नशे के मरघटघट (धूम्रपान निषेध दिवस पर)
घट रहीं सांसें सिसकती जा रही है जिंदगी, जिंदगी को विष नशीला दे रही है जिंदगी। विषैली खुशियां लपेट तन यहां पर थिरकते, निराशा के द्वीप में अनगिन युवा मन भटकते, खिलखिला कर फिर सिसकियां भर रही है जिंदगी। जिंदगी को विष नशीला दे रही है जिंदगी। पी रहे हैं सुरा को या सुरा उनको…
ये कैसी अजब नगरी है
ये कैसी अजब नगरी है जहाॅं कोई राजा और कोई रंक है कोई आसमान में बैठा कोई ज़मीन की धूल में लेटा है कोई ऐसी के आलिशान कमरों में सोता तो कोई सड़क के किनारे फुटपाथ पर सारी रात जागता है कोई फाईव स्टार होटल में आराम से बढ़िया व्यंजन खाता तो कोई उनकी जूठन…
रामजी मेरे आजाइयेगा
रामजी मेरे आ जाइयेगा।मेरी नजरों में बस जाइयेगा। अपनी धड़कन को लोरी बनाऊं,सांसों के झूले पर मैं झुलाऊं।मेरी पलकों के बिस्तर पर सोने,मेरी नीदों में आ जाइयेगा। नाव है जिंदगी ये हमारी,और पतवार बाहें तुम्हारी,पार कैसे करूं इस भंवर को,बन के केवट चले आइयेगा। शीश चरणों में रक्खा तुम्हारे,हाथ सिर पर रखो तुम हमारे।तुम विराजे…
महाशिवरात्रि महापर्व
विधा:-विधाता छंद करूँ मैं वंदना शिव की,सभी के हैं शरण दाता। सवारी बैल की करते, किसी से द्वेष ना भाता। भजें जो प्रेम से उनको, खुशी दें शरण पा जाता। मिले वरदान मनचाहा, भजन से इष्ट का नाता॥ लिया अवतार पृथ्वी पर, शिवानी भी विवाही हैं। त्रयोदश की शुभी तिथि के,रहेंगे गण गवाही हैं। मनाते…
कविता : बिखरा बसंत
समज्ञा स्थापक गाडरवारा ढूंढ़ रही हूॅ बासंती बयार को सुना है पीली हो जाती है धरा सुना है मुसकुराने लगते हैं वृक्ष सुना है लाल हो जाते हैं टेसु सुना है बौराने लगते हैं आमपाली सुनी तो बहुत है बसंत कहानी इसलिए ही तो खोजती रहती हॅू अक्सर धरा से नभ तक…
दोहरा चरित्र
कामवाली सुगना की लड़की का ब्याह था। उसने साहब जी के घर पर सबको आने का न्योता दिया। बड़ी मालकिन ने मदद के नाम पर कुछ नगदी और कुछ पुराने संदूक में रखे हुए आउट फैशन साड़ी, कपड़े, जेंट्स जोड़े और कुछ बर्तन सुगना को दे दिए। अहसान जताया अलग। शादी में कोई नहीं गया…
डॉक्टर सरोजनी प्रीतम कहिन
ग्रास मुर्गे उदास होते हैं काकटेल में वे बलि का बकरा बनते हैं दिग्गज के ग्रास होते हैं रीेतिकाल छात्रों ने पूछा दरबारी कवियों के राजकीय सम्मान से अभिप्राय वे बोले साहित्य के दिग्गज सलामी देते हैं सूंड उठाये अनुरोध उन्होंने साहित्यिक समारोह के निमंत्रण पत्र भिजवाये लिखा आप साहित्य के दिग्गज-कृप्या अपनी गजगामिनी भी…
दुनियादारी
दोस्त, तेरा चेहरा जो है बिल्कुल नूरानी है। सो, तुझको चाहने की हमें बीमारी है।। उसकी आँखों में तेवर और होशयारी है। आज फिर से पड़ोसी ने की ग़द्दारी है।। दिल से दिल तक पहुँचती हैं जिनकी बातें। असल में वही बातें होती असर कारी हैं।। और बेटी से होती हरेक आँगन में रौनक। सच …