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डीपफेक और 2024 का चुनावी रण

हमने लगता है कि डीपफेक का जन्म 21 वीं सदी में हुआ है, इंटरनेट के आने के बाद, जबकि इसकी जड़ें बड़ी गहरी हैं, जिसका जिक्र मैं बाद में करूँगा। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी ने जब अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीदवारों की नसीहत दी कि डीपफेक…

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नारी सशक्तिकरण से विकास के खुलते द्वार

वन आर्थिकी को सशक्त करने के लिए सुदूर गांवो तक पहुंचा रहे बाजार की खबर पढ़ी | महिलाओं के जीवन में समृद्धि लाने के वनोपज एकत्र करने के बाद उत्पाद बनाकर बेचने का कार्य वन के समीप बसे  समुदाय के लिए वनोपज आजीविका का साधन एवं नारी सशक्तिकरण को एक नई दिशा देगा | कुछ दिनों पूर्व आनलाइन…

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“अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस “ की बहुत बहुत बधाई

हम महिलाओं को अपने वजूद का एहसास स्वयं ही करवाना होगा सभी महिलाओं को “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस “ की बहुत बहुत बधाई महिलाओं को समर्पित कुछ पंक्तियाँज़िम्मेदारी संग नारी भर रही है उड़ान ,ना कोई शिरकत ना कोई थकानमहिलाओं को दे इतना सम्मान ,जिससे बढ़े हमारे देश की शान ।महिलायें दो परिवारों की शान बान…

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खाली ‘संदेश’ से बात नहीं बनेगी : मनमोहन शरण ‘शरण’

फरवरी माह जाते–जाते फाल्गुन माह में प्रवेश करा गया और ठंड कम होने लगी और गर्मी प्रारम्भ होने का संकेत देने लगी । आसमान से /धुंध हटी और मौसम साफ होने लगा । मौसम विभाग तो दिल्ली का मौसम फरवरी माह में पिछले 8–9 वर्षों से बेहतर है–साफ है – प्रदूषण के दृष्टिकोण से ।…

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सामाजिक संरचना की प्रासंगिकता :

प्राचीन भारतीय संस्कृति मूलतः अध्यात्मिक विकास पर आधारितएक विशेष सामाजिक वैविध्य को परिलक्षित करनेवाली संरचना थी। यह कोई निकट अतीतकी नहीं, वरन हजारों हजार वर्ष की सचेत मानसिकता के द्वारा संरचित हुई थी। अगर गम्भीरतापूर्वक विचार करें तो आज भी इसकी प्रासंगिकतासे इन्कार नहीं किया जा सकता।बहुत संभव है कि भविष्य भी इसकी सार्थकता  को…

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कभी निष्फल नहीं हो सकता हमारा दूसरों को प्यार सम्मान अथवा महत्त्व देना

कुछ समय पहले की बात है कि एक हिंदी फिल्म देख रहा था। फिल्म और मुख्य पात्र का नाम है मिली। मिली एक मॉल के फूड जंक्शन में काम करती है। एक दिन गलती से मिली रेस्टोरेंट के फ्रीजर रूम में बंद हो जाती है। फ्रीजर रूम की सरदी के कारण उसकी हालत बहुत खराब…

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दोहरा चरित्र

कामवाली सुगना की लड़की का ब्याह था। उसने साहब जी के घर पर सबको आने का न्योता दिया। बड़ी मालकिन ने मदद के नाम पर कुछ नगदी और कुछ पुराने संदूक में रखे हुए आउट फैशन साड़ी, कपड़े, जेंट्स जोड़े और कुछ बर्तन सुगना को दे दिए। अहसान जताया अलग। शादी में कोई नहीं गया…

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व्यंग्य – कैशलेश होकर ये कहां आ गए हम….

मोबाइल आया घड़ी का ज़माना गया, लैपटॉप आया टेलीविजन का जमाना गया, एंड्राइड फोन आया रेडिओ का जमाना गया और अब तो हद ही हो गई ऑनलाइन पैमेंट आया बेचारे पर्स का जमाना गया। अति मॉडर्न दिखने के चक्कर में युवा वर्ग अपने पास कैश नहीं रखता। जो रखते भी हैं उनके पास खुल्ले पैसे…

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समुद्र की गहराई में ध्यान

कुशलेन्द्र श्रीवास्तव अब पष्चिम बंगाल के संदेषखाली को भारत के लोग जानने ही लगे हैं, सारी दुनिया के जागरूक लोग भी जानने लगे हैं । जिस तरह से वहां के लोगों के साथ और वहां की महिलाओं के साथ अत्याचार किए गए उसका घिनौना रूप् सामने आ गया है । सत्ता के मद में चूर…

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Saga of a lost battle

ज़माने ने मारे जवाँ कैसे-कैसे इतिहास गवाह है कि हम जब भी बाहरी आक्रान्ताओं से हारे तो उसका कारण न तो हमारे सैनिकों में शौर्य की कमी थी न गिनती की। हारे तो सिर्फ अपने आंतरिक विवादों और आपसी दुश्मनी के कारण। इतिहास के पन्ने खंगालिए जनाब और उनसे सबक सीखिए। इतिहास में दो भूलें…

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