
Special Article

“संवाद का अभाव, संस्कारों की हार, स्कूलों में हिंसा समाज की चुप्पी का फल”
हिसार में शिक्षक जसवीर पातू की हत्या केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि हमारे समाज की संवादहीनता, विफल शिक्षा व्यवस्था और गिरते नैतिक मूल्यों का कठोर प्रमाण है। आज का किशोर मोबाइल की आभासी दुनिया में जी रहा है, जबकि घर और विद्यालय दोनों में उपेक्षित है। मानसिक तनाव, संवाद की कमी और नैतिक शिक्षा…

“गिरते पुल, ढहती ज़िम्मेदारियाँ: बुनियादी ढांचे की सड़न और सुधार की ज़रूरत”
वडोदरा में पुल गिरना कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि भारत के जर्जर होते बुनियादी ढांचे की डरावनी सच्चाई है। पुरानी संरचनाएं, घटिया सामग्री, भ्रष्टाचार और निरीक्षण की अनुपस्थिति — यह सब मौत को दावत दे रहा है। राbजनीतिक घोषणाएं तो बहुत होती हैं, लेकिन टिकाऊ निर्माण और जवाबदेही की योजनाएँ नदारद हैं। अब वक़्त है…

नॉर्मल’ क्या है, ये सवाल खुद से पूछों, दूसरों से नहीं
हर एक मिनट का हिसाब रखती, भागदौड़ भरी वर्तमान जीवनशैली में सबसे बड़ी और लगातार उभरती हुई समस्या है हमारा स्वास्थ्य। प्रतिदिन के तनाव से उपजती और मौत के मुंह में ले जाती गंभीर बीमारियों को देखते हुए “शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्” यह संस्कृत सूक्ति बिल्कुल सही साबित होती है। जिन्हें हमारे समाज में अक्सर…

वोटर लिस्ट पर बवाल
राजनीतिक सफरनामा कुशलेन्द्र श्रीवास्तव वैसे तो बिहार विधानसभा के होने वाले चुनाव में अभी समय है पर उसको लेकर बिगुल बज चुका है । विपक्ष फिलहाल भाजपा से नहीं चुनाव आयोग से लड़ रहा है और इसमें भाजपा पर भी निशाना साध रहा है । दरअसल चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कराने का…

सोच बदलनी होगी।
गीता—अध्याय3 श्लोक5 न हि कश्चित् क्षणमपि जातु तिष्ठतिकर्मकृत। कार्यते ह्यवशःकर्मसर्वःप्रकृतिजैर्गुणैः।। श्लोक का दूसरा पद द्रष्टव्य है जिसमें इंगित है कि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृतिजनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने को बाध्य किया जाता है।इसी सन्दर्भ में एक अन्य श्लोक है– नियतं कुरु कर्म त्वम कर्म ज्यायो ह्यकर्मनः। शरीर यात्रापि च ते न प्रसिद्धयेदकर्मणः।।–श्लोक-8 –तू…

धर्मांतरण का धंधा: विदेशी फंडिंग और सामाजिक विघटन का षड्यंत्र
उत्तर प्रदेश में एटीएस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें विदेशी फंडिंग के जरिए करीब 100 करोड़ रुपये 40 खातों में भेजे गए। मुख्य आरोपी ‘छांगरू बाबा’ उर्फ जमशेदुद्दीन के नेतृत्व में यह गिरोह ऊंची जाति की लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये की दर से धर्मांतरण कराता था। यह मामला…

गुरु दक्ष प्रजापति: सृष्टि के अनुशासन और संस्कारों के प्रतीक
(13 जुलाई जयंती विशेष) *गुरु दक्ष प्रजापति: सृष्टि के अनुशासन और संस्कारों के प्रतीक* सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के पुत्र गुरु दक्ष प्रजापति वेदों, यज्ञों और परिवार प्रणाली के आधार स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने अनुशासन और मर्यादा को समाज में स्थापित किया, किन्तु शिव-सती प्रसंग के माध्यम से यह भी दिखाया कि कठोरता से प्रेम मर…

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का हथियारीकरण
21वीं सदी की महान उपलब्धियों में से एक है स्थानों को बहुत सटीक रूप से निर्धारित करने की क्षमता। एक स्मार्टफोन आसानी से खुले स्थान कोड (“प्लस कोड”) का उपयोग करके 3.5 मीटर या उससे कम की दूरी वाले वर्ग के अंदर खुद को जियो लोकेट कर सकता है। प्लस कोड मिनट और सेकंड के…

दुर्घटना पीड़ितों के लिए “कैशलेस” उपचार : नीयत नेक, व्यवस्था बेकार
इस देश में जब कोई सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो सबसे पहले यह नहीं पूछा जाता कि ज़ख्म कितना गहरा है — पहले यह पूछा जाता है कि “पहचान पत्र है?”, “बीमा है?”, “अस्पताल पंजीकृत है?” और फिर अंत में — “बचा पाएँगे या नहीं?”। मानो पीड़ित की जान से पहले कागज़ ज़रूरी हो।…

पूजहि विप्र सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा ।।
पंकज सीबी मिश्रा / राजनीतिक विश्लेषक़ एवं पत्रकार जौनपुर, यूपी रामचरित मानस में बाबा तुलसीदास कहते है कि पूजहि विप्र सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा ।। औऱ वही मनु स्मृति कहती है कि- अष्टापाद्यं तु शूद्रस्य स्तेये भवति किल्बिषम्। षोडशैव तु वैश्यस्य द्वात्रिंशत्क्षत्रियस्य च॥ ब्राह्मणस्य चतुःषष्टिः पूर्णं वापि शतं भवेत्। द्विगुणा …