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“भव्य रंग महोत्सव -1 का सफल आयोजन

27 मार्च 2021 -शनिवार ” विश्व रंग मंच दिवस” के अवसर पर शादी पुर – रंजीत नगर,नई दिल्ली के “सफ़दर स्टूडियो” में “भव्य कल्चरल सोसाइटी” के सौजन्य से” भव्य रंग महोत्सव-१” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ हर्षित के मधुर स्वरों में गिटार के साथ गणेश वंदना के साथ किया गया। उसके बाद तीन नाटकों,सामाजिक नाटक “अधूरा सफ़र” ,रहस्य ,रोमांच और हास्य से भरपूर नाटक “टैक्स- फ्री” एवं हास्य नाटक “डॉक्टर -डॉक्टर” का मंचन किया गया। “अधूरा सफ़र” नाटक में “मोनार्क आर्ट्स एंड कल्चरल सोसाइटी” के कलाकारों अनुराग गुप्ता ,नीता गुप्ता ,भूपेंद्र भाटिया एवं ख़ुशी गुप्ता ने भूपेंद्र भाटिया के निर्देशन में अपने अभिनय से सभी दर्शकों को बहुत प्रभावित किया। नाटक को लेखनी बद्ध किया था नीता गुप्ता जी ने । नाटकों के अंतराल में हर्षित ने अपने गीतों से दर्शकों की खूब प्रशंसा बटोरी । उसके बाद डा ० चंद्रशेखर फड़सलकर द्वारा लिखित सुप्रसिद्ध नाटक “टैक्स फ्री” का निर्देशन किया “क्रिएटिव आर्ट ग्रुप सोसाइटी” के शशांक शाशा ने और सभी कलाकारों शशांक शाशा ,अमन अरोरा,राहुल भाटिया एवं अक्की सिंह ने बहुत बढ़िया अभिनय भी किया। मोलिएर के लिखे नाटक “डॉक्टर -२ “का निर्देशन किया “भव्य कल्चरल सोसाइटी के संस्थापक” श्री संजय अमन पोपली जी ने और नाटक के कलाकारों संजय अमन पोपली , मंजीत सिंह सेठी ,स्मिता चौधरी ,हरीश चौधरी ,विजय कृष्णा शर्मा ,अमन अरोरा ,सुनीता एवं पिंकी गौतम ने दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया।कार्यक्रम में विशेष अतिथि ,गीतकार एवं लेखक श्री प्रेम भारती जी ,पत्रकार ,संपादक एवं प्रकाशक श्री मन मोहन शर्मा” शरण ” जी ,मोहम्मद आबिद जी, समाज सेवक श्री रवि कपूर जी ,अभिनेता ,लेखक एवं फिल्म मेकर अरुण कोचर(गोल्डी ) जी एवं मॉडल एंड एंकर प्रेरणा ठक्कर जी भी उपस्थित रहे और उन्होंने तथा दर्शकों ने सभी कलाकारों का खूब उत्साह वर्धन किया।
तीनों ही नाटकों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया और शुरू से अंत तक बाँधे रखा।
सामाजिक नाटक “अधूरा सफ़र” ने न केवल प्रभावित किया बल्कि कुछ सोचने पर भी विवश किया। एक घंटे की पूरी कहानी सिर्फ चार किरदारों के आस पास घूमती है परन्तु इन किरदारों के माध्यम से हमारे भारतीय परिवेश में पचास -पचपन की उम्र के आस पास यदि किसी की पत्नी या पति की मृत्यु हो जाये तो ऐसे लोगों को एक दिशा भी देती है ,की सिर्फ हर समय दुःख में डूबे रहना ही किसी समस्या का हल नहीं बल्कि इस उम्र में भी समाज सेवा या अन्य कोई भी कार्य में व्यस्त रहकर आगे की ज़िंदगी हंसी -ख़ुशी बिताई जा सकती है। इस उम्र तक आते -२ अक्सर उनके बच्चे अपनी -२ ग्रहस्थी और अपने -२ कामों में व्यस्त हो जाते हैं उनके पास अक्सर एकाकी जीवन बिता रहे माता -पिता के लिए वक्त नहीं होता तो ऐसे में सिर्फ उनपर आश्रित होने के बजाय अविभावकों को स्वयं के लिए इस सोच का होना जरुरी है की वे आगे क्या करेंगे? इस उम्र में पुनर्विवाह भी एक विकल्प हो सकता है परन्तु अनिवार्यता नहीं। चारों कलाकारों अनुराग गुप्ता ,नीता गुप्ता ,भूपेंद्र भाटिया एवं ख़ुशी गुप्ता ने अपने शशक्त अभिनय से न केवल दर्शकों का मन मोह लिया बल्कि हलके -फुल्के हंसी मजाक के साथ आजकल की एक गंभीर परिस्थिति की ओर भी सबका ध्यान खींच

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