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कविता मल्होत्रा

विश्व बँधुत्व के विचार से बेहतर कोई विचार भला और क्या होगा।लेकिन यदि समाज कल्याण की बात की जाए तो सबसे पहले व्यक्तिगत कल्याण का भाव हर मानसपटल पर अँकित होता है।माना कि व्यक्तियों के छोटे छोटे पारिवारिक सामाजिक और मज़हबी समूहों के जोड़ से ही समाज बनता है, लेकिन समाज के वास्तविक कल्याण हेतु प्रत्येक व्यक्ति के सामाजिक दृष्टिकोण में समग्रता के हित की भावना का होना बहुत ज़रूरी है इसलिए –

नववर्ष पर क्यूँ ना नवीन विचार हो

भाईचारा रिश्ता और नाता प्यार हो

वैश्विक बँधुत्व का सपना देखने वाली निगाहें हर किसी के पास हों तो वो दिन दूर नहीं जब भारत फिर एक बार सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाए।

बाल पन से ही बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना भर कर हम भारतवासी ऐसे इँजीनियर तो पैदा कर रहे हैं जो गगनचुँबी इमारतों के निर्माता हैं लेकिन वो अपने ही दरकते रिश्तों की नींव नहीं भर पाते।कभी चिंतनशील अवलोकन करें तो पता चले कि सेनानियों की तरह, अदृश्य हथियारों से लैस,केवल परस्पर सँग्राम की शिक्षा पाती भावी पीढ़ी, किस ख़तरनाक पगडँडी पर क़दम बढा रही है।

खर पतवार सी पीढ़ी अज्ञान की पौध ही तो पैदा करेगी जो देश की प्रगति में बाधक ही होगी।

जब तक समाज में शोषक और शोषित वर्ग का भेदभाव नहीं मिटेगा तब तक एकता और भाईचारे की कल्पना ही बेमानी है।

अपने आसपास अहम की मज़बूत दीवारें बना कर हर रोज़ एक नई कलह को जन्म देना रूग्ण मानसिकता की ही निशानी है।

युद्ध कभी किसी वतन में बुद्ध की छवि निर्मित नहीं कर सकता। इसलिए अपनी अपनी सोच का दायित्व उठा कर सहयोग सेवा और समर्पण की भावना से जनहित का क़ायदा पढ़ा जाए तो ही विश्व कल्याण सँभव हो पाएगा।

दूसरों के पेट पर लात मार कर अपनी समृद्धि के ख़्वाब सजाना असँवेदनशीलता की निशानी नहीं तो और क्या है।वर्ग भेद केवल आत्मबोध ही मिटा सकता है, इसलिए शान्ति की स्थापना के लिए दूसरों से उम्मीद करना छोड कर क्यूँ ना अपने ही रूपाँतरण के लिए कुछ ऐसा प्रयास किया जाए –

नववर्ष तभी नवीन हो सकता जब भाईचारे के हों रिश्ते नाते

शिकार को लूट कर,शिकारी, लूट का कुछ भाग उसे लौटाते

ये भ्रष्ट नेता ही,समाज में, उधारी सलामियाँ ले झँडे फहराते

मीटिंग में युद्ध के दाँव पास करवा के,शाँति के बिगुल बजाते

नववर्ष उनका नवीन हो सकता,जो भाईचारे की जोत जलाते

पारस्परिक उत्थान का दीप जला कर ही दिलों में एक दूसरे के लिए भरी वैमनस्यता की कालिमा को दूर किया जा सकता है।इसलिए –

दया करूणा और परस्पर प्रेम की वृद्धि हो

वैश्विक एकता बढ़े तो विश्व में समृद्धि हो