Latest Updates

फिर नई सुबह होगी (सम्पादकीय)

मनमोहन शर्मा ‘शरण’
इस पखवाड़े में पहले भारतीय क्रिकेट टीम का विश्व कप विजय का सपना टूटा और सेमिफाइनल में न्यूजीलैंड के हाथों संघर्ष करते हुए हार का सामना करना पड़ा । पूरे देश को बहुत दुख हुआ । पिछले दो दिनों में चन्द्रयान–2 , जिसकी उलटी गिनती शुरू होने ही वाली थी किन्तु वैज्ञानिकों ने समय रहते कुछ तकनीकी खामियों को भांप लिया और कुछ समय के लिए इसे स्थगित कर दिया । इस मिशन से भारत को बहुत आशाएं हैं और अंतरिक्ष में एक नई ऊँचाई को छुएगा भारत । यह दोनों ही निराशाएँ कुछ समय की हैं फिर से अपने मिशन पर जुट जाते हैं लक्ष्य को पाने के लिए ।
लेकिन राजनीति में भय–निराशा का जो वातावरण बन रहा है वह अवश्य ही चिंताजनक है । दल–बदलू मानों फैशन बन गया है । यहां मैं सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी भाजपा से भी यह उम्मीद नहीं करता कि उन्हें खरीदकर अपने नेताओं की संख्या बढ़ानी पड़े । क्योंकि उन्हें आशा के अनुरूप पर्याप्त मिला है, उन्हें संतोष करना चाहिए और प्रभु का धन्यवाद करना चाहिए । अपने लिए नित नई ऊँचाइयां चुनें, किन्तु दूसरे के किले को /वस्त करके नहीं ।
दूसरी ओर उन नेताओं के लिए जो विभिन्न पार्टियों से मन हटाकर या किसी लालच अथवा लालसा के वशीभूत बड़ी पार्टी में अपना भविष्य देख रहे हैं । मैं यही कहना चाहता हूँ कि पार्टी एक परिवार बन जाता है । परिवार में कभी उतार–चढ़ाव भरे दिन भी देखने को मिलते हैं किन्तु हम परिवार छोड़ कर कहीं भाग नहीं जाते । स्थिति विकट ही क्यों न हो उसका सामना करके अपनी राह आसान करते हैं । एक को परेशानी में छोड़कर अपने सुख की कामना करना, शायद छलावा ही सिद्ध होता है ।
देश में श्रेष्ठ स्तर का राजनैतिक माहौल हो, प्रजा के हित में काम हो, उसके लिए मजबूत विपक्ष का होना अति आवश्यक है । कांग्रेस में भी निराशा का जो माहौल पिछले 2 महीने से बना हुआ है, उससे उन्हें बाहर आना होगा और नए जोश के साथ अपनी पार्टी की नीतियों को याद करके जनता का विश्वास फिर से जीतना होगा । ऐसा नहीं है यह पहली बार हुआ है, हार–जीत जीवन का हिस्सा है । अपने संघर्ष भरे दिन को, अच्छे दिनों को, देश के लिए कुछ करने का विश्वास लिए जो सेवा की चाहत थी, उन्हें याद करें और एक नये संकल्प को लेकर सामने आएं तो फिर नई सुबह होगी । सादर!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *