Latest Updates

अफसरशाही की जाँच क्यो नही होती ?

मैं ऐसे कई लेखा बाबुओं और अन्य सरकारी कार्यालयों मे काम करने वाले बाबुओं को जानता हूँ जिनका मासिक वेतन बीस हजार से तीस हजार है पर उनके घर की शानो- शौकत किसी बिजनसमैन के रुतबे से कम नही । आखिर कहाँ से आया इतना पैसा ? कई ऐसे  थानाध्यक्ष एस ओ और एस आई है पुलिस महकमे मे  जिनकावेतन 35 से ₹40000 मात्र है। किंतु उनकी ठाट देखते ही बनती है। 14 15 लाख की एक स्कॉर्पियो खरीद रखी है। ड्राइवर का वेतन 10000 प्रतिमाह, गाड़ी की किस्त लगभग ₹20000, महीने में तेल ₹10000 और सर्विसिंग इत्यादि पर ₹5000 खर्च है। वैसा ही कोई थानेदार होगा जिसने अपनी गाड़ी नहीं खरीद रखी है। अब बताइए कैसे उसके वेतन से ज्यादा खर्च एक गाड़ी पर है। आखिर कहाँ से आया इतना पैसा ?

बिहार सरकार के शराबबंदी कानून को लेकर ऐसा कोई पुलिस का दारोगा या इंस्पेक्टर नहीं मिलेगा जिसने 2/4 करोड़ की संपत्ति नहीं खरीदी हो। मैं कई सिपाही से परमोट हुए दारोगा को भी जानता हूं,जो पहले साइकिल पर चलता था और अब बड़ी एसी गाड़ी में चलता है।जबसे बिहार सरकार ने शराबबंदी के कानून में यह उपबंध जोड़ दिया है कि जिस थाना क्षेत्र में शराब पकड़ी जाएगी उसके थाना अध्यक्ष को 10 साल तक किसी थाने का अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। अब कौन पुलिस अफसर अपने ही अपनी फजीहत करवाएं। इस प्रकार अंदर खाने धड़ल्ले से दारू खुला है। जहां भी मांग होती है, डिलीवरी ब्वॉय तुरंत दारू की बोतल लेकर हाजिर हो जाता है। क्या सरकार इस बात को नहीं जानती है। आज पूरे बिहार में 167000 लोग शराबबंदी कानून के तहत दर्ज एफ आई आर के कारण बिहार के जेलों में बंद हैं। जिस जेपी आंदोलन की दुनियाभर चर्चा होती है उस आंदोलन में भी पूरे भारत में इतने लोगआपातकाल के अंतर्गत भारतीय जेलों में बंद नहीं थे।

एक समय तो ऐसा था जब नीतीश कुमार ने हर गांव में 2,/4 देसी और विदेशी दारू की भट्ठियां खुलवा दी थी। गांव गांव में लोग दारू पीकर माते रहते थे, शाम को सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता था। आजकल वैसी स्थिति नहीं है। लोग डर से घर में ही पीते हैं और सो जाते हैं। किंतु दारू हर जगह उपलब्ध है। जो बीयर की बोतल पहले 80 रुपए में मिलती थी वह अब 300/350 में मिलती है। फर्क बस यहीं पर है और दूसरा फ्लर्ट यह है कि सरकार को राजस्व की हानि हो रही है ।

यू पी एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ बेरोजगार ज्यादा पर आबादी के हिसाब से धनी व्यक्ति भी सबसे ज्यादा है । आज प्रत्येक चौराहे पर वाहन चेकिंग के नाम पर धन उगाही करता पुलिस वाला । प्रत्येक तहसील मे घूस लेता लेखपाल और पेसकार । प्रत्येक अस्पताल मे खुले मेडिकल हॉल जो दस रुपये की दवा सत्तर रुपये मे बेचते है वो भी डॉक्टर के कमिशन के साथ । ये सब काला धन ही तो है । आखिर क्यो नही जाँच होती बांबुओ के इन संपत्ति की , क्यो नही इन्कम टैक्स विभाग छापेमारी  करता पुलिस महकमे के आला अधिकारियो के घर ? क्यो नही मोदी जी ऐसे गंभीर मुद्दे पर कुछ नही बोल रहे ? आखिर कब तक गरीब बेरोजगार जनता इन बाबुओं अफसरों और नेताओ को घुस देती रहेगी । जागो देश वालों वरना राजनीति के गेहूं मे घून की तरह पिस दिए जाओगे । क्या हम चुपचाप केवल ईमानदारी से इनकम टेक्स चुकाने मे और मनमानी वसूली मे चालान और बिजली बिल भरते रह जाएंगे या ऐसे लोगो के खिलाफ आवाज भी उठाएंगे ।  जय हिन्द ।

——- पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी 8808113709

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *