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अलौकिक नारी (कविता-8)

नारी की एक अलौकिक कहानी है,

उसकी जन्म से मृत्यु तक रवानी हैं।

जब वो जन्मती हैं किसी आँगन में,

तब वह सभी की प्यारी बन जाती हैं ।

जब वो छमाछम आँगन में खेलती हैं,

तब वो सभी की हँसी बन जाती हैं।

जब वो बड़ी होकर  शिक्षा लेती हैं,

घर में सभी की शान बन जाती हैं।

ऊँचे पद पर वो आसीन होकर के,

देश की गौरव गाथा को बढ़ाती हैं।

नारी अपनी पूर्ण योग्य शिक्षा से,

अपने वंश को शिक्षित कर जाती हैं।

जब वो विवाह करके विदाई लेती हैं,

सभी अपनो के आँसू बन जाती हैं।

जब ससुराल में वो पग रखती हैं,

सब के लिए नारी शक्ति बन जाती हैं।

एक ही रूप में वो अन्य रूप धरके,

पत्नी वधु और वो कुशल माँ बन जाती हैं।

सभी दायित्व भलीभांति निभाकर के,

नारी शक्ति अलौकिक गृहणी बन जाती हैं।

कलम से

पूनम द्विवेदी

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