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कुछ मोती ऐसे,कोहेनूर जैसे

कुछ शब्द या पंक्तियां ऐसी होती हैं जो  जिन्दगी में मन को छू जातीं हैं,अगर उनका मनन कर के व्यवहार में ले आएं तो जिन्दगी ही बदल देतीं हैं।शब्द भले ही निःशुल्क लेकिन यह चयन पर कीमत मिलेगी या चुकानी होगी।पिछले 45-50 वर्षों से मैं जब भी कोई अच्छा प्रेरक विचार पढ़ता हूं तो उसे कभी डायरी या किसी कागज़ पर लिख लिया करता हूँ, इतना कुछ पढ़ने के बाद कुछ विचार रूपी शब्द मुझ  नाचीज़ से भी स्वयमेव गढ़े जाते हैं।ये सब मोती रूपी विचार तो  कोहेनूर सदृश हैं—

(1)गलतियाँ और खामियाँ ढूंढना गलत नहीं है, बस शुरुआत खुद से करनी चाहिये।

(2)किसी को खुशी देने की कोशिश करना,अपने आप को खुश करने का सबसे श्रेष्ठ उपाय है।

(3)अच्छे इन्सान की बहुत बड़ी पहचान है कि वो सदैव दूसरों में भी अच्छाई ही देखता है।

(4)कई बार,बुरा समय अपने साथ कुछ अच्छा भी ले आता है।

(5) दुनिया की हर चीज़ ठोकर लगने से टूट जाती है,एक कामयाबी ही है जो ठोकर खा कर ही मिलती है।

(6)उम्र और समय कोई मायने नहीं रखता,केवल आत्मविश्वास चाहिए, जिन्दगी तो कहीं से भी शुरू की जा सकती है।

(7)दर्द आपके जिन्दा,समस्या आपके मज़बूत होने का संकेत है और प्रार्थना आपके अकेले नहीं होने का।

(8)हमेशा शान्त रह कर खुद को बहुत मजबूत पाएंगे जैसे लोहा ठण्डा रहने पर मज़बूत होता है, गर्म होने पर तो उसे किसी भी आकार में ढाल दिया जाता है।

(8)लफ़्ज़ों के दाँत नहीं होते पर ये काट लेते हैं,दीवारें खड़ी किये बगैर हमको बाँट देते हैं।

(9)सुनना सीख लो तो सहना सीख जाओगे और सहना सीख लिया तो रहना सीख जाओगे।

(10)परमात्मा सभी को एक ही मिट्टी से बनाता है बस फर्क इतना है कि कोई बाहर से खूबसूरत होता है तो कोई भीतर से।

(11)मुसीबत आये तो घबराना नहीं,समझना है कि जिन्दगी हमें कुछ नया सिखाने वाली है।

(12) जल्दी जागना हमेशा फायदेमंद फिर चाहे वह अपनी नींद,अहम,वहम से हो

या सोये हुए ज़मीर से।

(13)जो अच्छा लगे उसे गौर से मत देखो ऐसा न हो कोई बुराई निकल आये जो

बुरा लगता है उसे गौर से देखो मुमकिन है कोई अच्छाई नज़र आ जाये।

(14) मैले व गंदे कपड़े से यदि हमें शर्म आती है तो गंदे ओर मैले विचारों से भी हमें शर्माना चाहिये।

(15)गुस्सा अकेला आता है मगर हमसे सारी अच्छाई ले जाता है, सब्र भी अकेला आता है मगर हमें सारी अच्छाई दे जाता है।

(16) अगर आपको लगे कि मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिये था तो मौन रहें।

(17)मौन रहें जब आप को लगे कि किसी व्यक्ति को आपके शब्द चुभेंगे।

(18)जब तक आप के पास सम्पूर्ण तथ्य व प्रमाण न हो तब तक मौन रहें।

(19)मौन रहें जब आप स्वयं के प्रति आत्मग्लानि से भरे हुए हों।

(20)दुनिया में सब से ज्यादा सपने तोड़े है इस बात ने कि लोग क्या कहेंगे?

(21)मन में जो है साफ साफ कह देना चाहिये क्योंकि सच बोलने से फैसले होते हैं और झूठ बोलने से फासले।

(22) हंसते रहो तो दुनिया साथ है वरना आंसुओं को तो आँखों मे भी जगह नहीं मिलती।

(23)ज़माना भी अजीब है नाकामयाब लोगों का मज़ाक उड़ाता है और कामयाब लोगों से जलता है।

(24)बड़प्पन वह गुण है जो पद से नहीं,संस्कारों से प्राप्त होता है।

(25)जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग है उस दिन जीवन से दुःख समाप्त हो जायेंगे।

(26) जहाँ से अहम और वहम नहीं जाते वहाँ से रिश्ते चले जाते हैं।

(27)जो कभी संघर्ष से परिचित नहीं होता,इतिहास साक्षी है वो कभी चर्चित नहीं होता।

(28)वास्तव में हमारा अहंकार ही हमें अपनी असफलता को स्वीकार न करने के लिये विवश करता रहता है।

(29) हम समझते हैं,खुशी के लिये बहुत कुछ इकट्ठा करना पड़ता है,किन्तु हकीकत में खुशी के लिये बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है।

(30)परिस्थिति कुछ भी हो,डट कर खड़े रहना चाहिये,सही समय आने पर खट्टी

कैरी भी बदल कर मीठा आम बन जाती है।

(31)शब्द और व्यवहार ही मनुष्य की असली पहचान है, चेहरा ओर हैसियत का क्या है,आज है,कल नहीँ है।

(32)स्वाद को छोड़ दें तो शरीर को लाभ,विवाद छोड़ दें तो सम्बन्धों को लाभ और

चिन्ता को छोड़ दें तो पूरे जीवन को लाभ।

(33)जब हम सबकी बात नहीं मानते तो फिर दूसरा कोई हमारी बात न माने तो हमें नाराज़ नहीं होना चाहिये।

(34)भीतर में लोभ न हो तो आवश्यक वस्तु अपने आप प्राप्त होती है क्योंकि वस्तु का लोभ ही वस्तु की प्राप्ति में बाधक है।

(35)एक एक व्यक्ति खुद सुधर जाये तो समाज सुधर जायेगा।

(36)ठगने में दोष है,ठगे जाने में दोष नहीं है।

(37)केवल सेवा करने के लिये ही दूसरों से सम्बन्ध रखो,लेने के लिये सम्बन्ध रखोगे तो दुःख ही पाना पड़ेगा।

(38)परमात्मा दूर नहीं है, केवल उनको पाने की लगन की कमी है।

(39)दूसरों को सुख देने की इच्छा ही,स्वयँ के लिये सुख की अनुभूति है।

(40)विचार करो,क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे?

(41) करेंगें यह निश्चित नहीं है, पर मरेंगे यह निश्चित है।

(42)प्रारब्ध चिन्ता मिटाने के लिये है,निकम्मा बनाने के लिये नहीं।

(43)जो होने वाला है, वह हो कर रहेगा और जो नहीं होने वाला है, वह कभी नहीं

होगा,फिर चिन्ता किस बात की।

(44)जैसा मैं चाहूं, वैसा हो जाये-यह इच्छा जब तक रहेगी,तब तक शान्ति नहीं मिल सकती।

(45)मनुष्य को वस्तु गुलाम नहीं बनाती,उसकी इच्छा गुलाम बनाती है।

(46)अच्छाई का अभिमान बुराई की जड़ है।

(47)जिसके भीतर इच्छा है,उसको किसी न किसी के पराधीन होना ही पड़ेगा।

(48)चिन्ता करना मतलब,ईश्वर की व्यवस्था पर शक करना।

(49)आप क्या हैं,यह महत्वपूर्ण नहीं है,परन्तु आप में क्या है, यह महत्वपूर्ण है।

(50)जिन्दगी की मुश्किलों को अपनों के बीच रख दीजिये या तो अपने रहेंगे या फिर मुश्किलें।

(51)जीवन का सुन्दर व सरल नियम-जो आपके साथ नहीं होना चाहिए, वह आप दूसरों के साथ न करें।

—-   राजकुमार अरोड़ा गाइड

कवि,लेखक व स्वतंत्र पत्रकार

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