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नए ट्रैफिक नियमो पर पुनः ध्यान दे सरकार !

आजकल सरकार के तानाशाही फरमानों से आम जनमानस बेचैन सा हो गया है । कभी पेट्रो पदार्थो पर अतिरिक्त टैक्स से मूल्यवृद्धि तो कभी नए ट्रैफिक नियमो के जुर्माने मे बेतहासा वृद्धि कभी बिजली बिलो मे अचानक बढ़ोत्तरी तो कभी वाहन किराये मे वृद्धि । सरकार भूल चुकी है की ये आमजनता है जिसने उसे सरकार कहलाने का मौका दिया है ,खैर सुधार चाबुक से नही होता साहब। पैसे बेशक जुर्माने मे ज्यादा लो पर  जिसके पास हेलमेट न हो उसे तत्काल हेल्मेट दो ,बीमा दो,लाइसेंस दो और तुरन्त उसके पैसे लो।।बात खत्म । जनता भी इसको सहर्ष स्वीकार लेगी पर ऐसे वसूली करवाओगे नियमो के नाम पर तो जनता आम चुनावो मे पाला बदलना भी जानती है ।ये हिंदुस्तान है साहब, यहां आज भी लाखों ऐसे गरीब हैं जो बमुश्किल सालाना 40,50 हजार ही कमा पाते हैं , सरकार के तो बस की बात नही है उपयुक्त रोजगार दे और फिर जुर्माना वसूले वो तो टैक्स  वसूल ही नही पाती इनके तानाशाही मे केवल गरीब जनता ही फंसती है । 140 करोड़ का देश होने वाला है, वोट बैंक के लिए फ्री की योजना क्यों चलाते हो। हमे नही चाहिए कोई फ्री की योजना उसके बदले 18 साल की उम्र होने पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवा के दो न अभियान चलाकर या कैम्प लगवाकर । हमे नही चाहिए 1 रुपये किलो गेंहू, उसके बदले दिनभर 300 रुपये का रोजगार दीजिये न। हमे नही चाहिए मुफ्त का केरोसिन महीने भर बिना कटौती के बिजली दीजिये न। हमे नही चाहिए वृद्धा वस्था पेंशन उसके बदले सरकार के किसी दफ्तर में चपरासी की नौकरी दीजिये या सेवाश्रम दीजिये । एक व्यक्ति परचून की दुकान पर ( जो कि दुकान उसके घर से 15 किलोमीटर दूर है!) काम करने जाता है उसकी वेतन 7000 रुपये है वह 12 वीं तक पढ़ा हुआ है। दुकान जाने के लिए उसने 15000 की एक पुरानी स्प्लेंडर गाड़ी लेली, मालिक से एडवांस लेकर 4,5 हजार का ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया लेकिन समय पर बिमा नही करवा पाया पारिवारिक स्तिथि ठीक नही है घर मे पत्नी और 3 बेटियां हैं , उनका घर बसाना है और कोई कमाने वाला नही है। अब वो सरकार को चालान भरे या घर चलाये , या फिर आत्म हत्या करे?इस विषय पर सरकार को सोचना चाहिए, ऐसे डंडे मारकर देश को नही सुधारा जा सकता ,अरे जिस वजह से चालान कर रहे हो वो वजह ही खत्म कर दो ना, किसी के पास हेलमेट नही है तो 1500 लेकर हेलमेट दो। किसी का बीमा नही है तो तत्काल उसे बीमा उपलब्ध करवाओ तब जुर्माना लो , ड्राइविंग लाइसेंस नही है तो कैम्प लगवाकर जैसे सदस्य बनवा रहे वैसे वैलिड कागजातों से डी एल बनवाइये न सबके कागज भी पूरे होंगे और देश भी सुधरेगा ।जनहित की सोच मे ये लेख अपने स्तर से भी केंद्र सरकार तक पहुँचाने का प्रायास करे । हम जागरूक होंगे तभी सरकार हमारी समस्याओं पर ध्यान देगी ।
——- पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी

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