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कोरोना को हल्के में लेना, कितना भारी पड़ रहा है

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ (प्रधान संपादक)

कोरोना को हल्के में लेना हम सबको कितना भारी पड़ रहा है । हमने भी, सरकारी तंत्र् ने  भी, स्वयंसेवी संस्थाएं भी बार–बार निवेदन करती रहीं कि 2 गज की दूरी मास्क है जरूरी, कम से कम तब तक तो अवश्य ही जब तक कोरोना भारत से पूरी तरह से विदा नहीं ले लेता । लेकिन एक तो कोरोना की गति धीमी हुई और केस लगातार कम होने लगे और दूसरा वैक्सीनेशन शुरु हो गया तो ऐसा माना जाने लगा कि अब कोरोना क्या बिगाड़ लेगा ।  परन्तु vaccination में भी पहले 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को अब 45 से अधिक  उम्र के लोगों को लगाया जा रहा है जबकि ऐसी आवाजें उठ रही हैं कि उम्र की बंदिशें समाप्त करके सभी देशवासियों को जितनी जल्दी हो सके दोनो डोज दे दी जानी चाहिए ।  क्योंकि कोरोना विस्फोट अब ऐसा जो पहले भी कभी नहीं देखा–सुना ।  जी हाँ, एक ही दिन में 2 लाख से अधिक कोरोना संक्रमितों का पाया जना यही संकेत कर रहा है कि अब भी नहीं संभले तो स्थिति आपे से बाहर जा सकती है ।

          कहा गया है कि जनता अपने नायकों का अनुसरण करती है । कोरोना की गति धीमी  होने लगी तो नियमों की धज्जियां उड़ाई जाने लगी । इससे किसका नुकसान हुआ––– पांच राज्यों में चुनावों का मौसम आते ही ताबड़तोड़ रैलियां, भीड़ जुटाई जाने लगे या आने लगी । किन्तु कोरोना नियमों का कितना पालन हुआ यह सब हम सभी ने देखा, पढ़ा, सुना है ।  और एक अफसर–अधिकारी, आफिस का कर्ता–धर्ता ही न हो तो मानियेगा कि काम में फर्क तो दिखेगा ही ।  मैं सोच रहा हूं प्रधानमंत्री  जी, ग्रहमंत्री जी, यूपी के मुख्यमंत्री  जी ताबड़तोड़ रैलियों करते रहे जिसके चलते उनका उन प्रदेशों में लगातार आना जाना लगा रहा ।  उनके चिंतन मनन पर देश हित / पार्टी हित में से क्या ज्यादा हावी रहा होगा वे ही बेहतर जानते हैं ।  लेकिन हम यह जान रहे हैं कि कोरोना खत्म हुए बिना इसके नियमों को ताक पर रखने का ही यह परिणाम है कि देश का भविष्य कहे जाने वाले बालक अपने भविष्य को लेकर असमंजस में आ गए हैं । 10वीं की परीक्षाएं रद्द किया जाना, क्या सभी विद्यार्थियों को संतुष्ट कर पायेगा ।  हालांकि राहत की बात यह है कि एक ऑफ्शन खुला रख दिया है कि स्थिति सामान्य होने पर वे अपनी परीक्षा देकर अपना स्तर सुनिश्चित कर सकेंगे ।

          पांच राज्यों में चुनावों के नतीजे जनता का निर्णय बताएंगे कि कौन पार्टी जनता को अपनी पार्टी की नीतियों, उद्देश्य एवं जनता को देने वाली सुविधाओं के प्रति संतुष्ट करने में सफल रही। किसको जनता ने ताज दिया और किसको गद्दी से मोहताज कर दिया

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