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अजूबा प्रजातंत्र है,कुहरन भरी आजादी है

ठोकर खाने पर भी संभलता नहीं बेईमान,

कुछ दौलत के लिए वह बेच देता है ईमान.

बेइज्जती का उसको कुछ भी परवाह नहीं,

धन-पद के  पीछे-पीछे  भागता है बेलगाम.

समाज में  ईमानदार आदमी का अभाव है,

शुभ सलाह  मानने को कोई  नहीं तैयार है.

गरीबी व बेरोजगारी  समाज में बरकरार है.

खुलेआमअट्टहास यहां करता व्यभिचार है.

बलात्कार के घटनाओं से रंगा  अखबार है,

भ्रष्ट लोगों को  सरेआम  मिलता सम्मान है.

अपहरण  का अवैध धंधा फल फूल रहा है,

सचमुच हीआमआदमी आज भी गुलाम है.

बाहुबलियों  का  वर्चस्व  कम नहीं हुआ है,

आम जनता उनकेआगे हाथ जोड़े खड़ी है.

उनके घर  गिरवी है गरीबों का स्वाभिमान,

अजूबा प्रजातंत्र है,कुहरन भरी आजादी है.

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