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बरसी एैसे प्रभु कृपा,दिलों से दिल की बात मिली उमड़ा सावन हिंदी भवन में स्नेह की सौग़ात मिली

इसे प्रभु कृपा नहीं तो और क्या कहा जाए, जब विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अभिन्न रचनाकारों ने, अपने लेखन से अनुराधा प्रकाशन को साहित्यिक समृद्धि देकर, इस काबिल बनाया कि एक साथ 15 पुस्तकों का लोकार्पण सँभव हो पाया।

21 जुलाई 2019 का दिन अनुराधा प्रकाशन के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन कर आया, जिसमें अनेक चिंतक, समाजसेवी, प्रतिष्ठित लेखक, प्रेरक वक़्ता, शिक्षक एवँ नवोदित रचनाकार सभी एक सँयुक्त परिवार की तरह, पुस्तक विमोचन के शुभ अवसर पर शामिल हुए।कोई तो बात होगी मनमोहन शर्मा शरण जी के अतिथि सत्कार में जिनका सहज आमँत्रण, मुख्य अतिथि, आदरणीय डॉक्टर सरोजिनी प्रीतम जी, अति विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय हास्य कवि श्री महेंदर शर्मा जी, प्रसिद्ध गीतकार श्री पंकज शर्मा जी (एसोसिएट प्रोडूसर ‘आज तक’), श्रीमती कविता मल्होत्रा जी ( क्रिएटिव डायरेक्टर – अनुराधा प्रकाशन )डॉक्टर सरला सिंह (4 पुस्तकों की लेखिका, कवियित्री), ने स्वीकार किया।

जी हाँ इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि मनमोहन शर्मा शरण जी, जीवन मूल्यों को समर्पित प्रकाशन की स्थापना तभी कर पाए जब उनके माता पिता की आशीष उनके सर पर रही।मनमोहन शर्मा जी ने अपने परिवार की सँस्कारिक परँपरा के क़ायम रखते हुए, अपने साहित्यिक

परिवार में शामिल होने वाले प्रत्येक प्रतिष्ठित और नवोदित रचनाकार को एक कुशल अभिभावक की भाँति एक साझा मँच प्रदान किया, और इस मँच के कुशल सँचालन का दायित्व बख़ूबी निभाया।

कार्यक्रम का कुशल सँचालन आदरणीय मधु मधुबाला जी (सुप्रसिद्ध कवियित्री) एवं ( हास्य कवि ) जसवँत सिंह तंवर जी ने किया।

आयोजन का आरँभ माँ सरस्वती के माल्यार्पण से किया गया। टी सीरिज की जानी मानी कलाकारा श्रीमती संगीता ग्रोवर जी ने अपनी मधुर आवाज़ से माँ सरस्वती की स्तुति की।

तत्पश्चात दिल्ली,नागपुर, उत्तरप्रदेश,प्रतापगढ़,आगरा तथा अन्य प्रदेशों से आए सहभागी रचनाकारों के लेखन से सृजित पाँच साझा संकलन – काव्य अमृत, कथा संचय, सीप में मोती-2, दिव्य चेतना, हास परिहास,  एवँ डॉक्टर सरला सिंह जी की 4 पुस्तकों (जीवन पथ (काव्य संग्रह), हिंदी के आधुनिक पौराणिक प्रबध काव्यों में पात्रों का चरित्र विकास, आशा दीप (काव्य संग्रह), मेरे जीवन का समर (काव्य संग्रह), और भागलपुर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर सुधीर सिंह जी की 4 पुस्तकों (काव्य संग्रह)—‘माँ की याद मे’,  ‘बाल विवाह एक अभिशाप’ , ‘चेतना के स्वर’, ‘उठ जाग मुसाफिर’ तथा पटना (बिहार) से कवियित्री श्रीमती वीणा प्रशाद की पुस्तक ‘खुबसूरत अपनी दुनिया’ का भव्य लोकार्पण किया गया।

आगरा से आईं लेखिका श्रीमती अलका अग्रवाल जी जो साझा संकलन की सहभागी रचनाकार भी है और उनकी हाल से में अनुराधा प्रकाशन से काव्य संग्रह ‘बोलते चित्र’ का प्रकाशन हुआ था,  उनकी उस पुस्तक का भी सम्मानित मँच द्वारा लोकार्पण किया गया। 

प्रकाशक व प्रधान संपादक मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी पुस्तकों पर प्रकाश डाला।

मनमोहन शर्मा जी ने अनुराधा प्रकाशन द्वारा साहित्य, भाषा एवं अध्यात्म के क्षेत्र में की जा रही सेवाओ की चर्चा करते हुए साझा संकलन के 20 संकलन प्रकाशित हो जाने की बात से सबको अवगत कराया और मंच का ध्यान आकर्षित करते हुए विशेष उल्लेख किया की आज अनुराधा प्रकाशन परिवार साझा संकलन की 20वीं सीढ़ी पर आ गया है इसलिए ये अति आवश्यक है कि पहली सीढ़ी की बात की जाये।

इसलिए मनमोहन शर्मा जी ने अपने इस साहित्यिक सफर की पहली सीढ़ी – समाज सेविका, प्रतिष्ठित लेखिका, उत्कर्ष मेल पाक्षिक समाचार पत्र की सँरक्षिका एवँ अनुराधा प्रकाशन की क्रिएटिव डायरेक्टर कविता मल्होत्रा जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

अनुराधा प्रकाशन के साहित्यिक सफर में एक सारथी की भूमिका में अपना निरँतर सहयोग देने के लिए अनुराधा प्रकाशन के प्रकाशक मनमोहन शर्मा जी ने कविता मल्होत्रा जी का विशेष उल्लेख करते हुए उन्हें अनुराधा प्रकाशन की और से ‘बेस्ट सपोर्ट अवार्ड’ और स्मृति चिन्ह प्रदान किए।

मनमोहन शर्मा जी ने कविता जी के अमूल्य सहयोग के लिए अपनी कृतज्ञता प्रकट की।

मंचासीन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

डॉक्टर सरला सिंह को मंच द्वारा ‘राष्ट भाषा गौरव सम्मान’ तथा डॉक्टर सुधीर सिंह जी को ‘साहित्य साधक सम्मान’ प्रदान किया।

कविता मल्होत्रा जी ने माँ सरस्वती का वँदन करते हुए, मँच एवँ सभासदों का अभिनँदन कर के, समस्त अनुराधा प्रकाशन परिवार, मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी, तथा सभी सहभागी रचनाकारों को बधाई दी। तीन पीढ़ियों को वैश्विक बँधुत्व का सँदेश देती अपनी सटीक रचना से कविता जी ने सभा का ध्यान आज के हालातों पर आकर्षित किया –

अपना आधुनिक इँडिया आज कैसे डिजिटल हो गया है

हर सँबँध रूह से जिस्म में उतर कर फ़िज़िकल हो गया है

कैसी प्रगति की वतन ने,ओल्ड एज होम चलन में आ गए

आँगन के पेड़ कटे,मोबाइली नशे देश का बचपन खा गए

       सच है जिस प्रकाशन की बुनियाद में वैश्विक कल्याण के भाव भरे हों उस प्रकाशन को बुलँदियों का शिखर छूने से भला कौन रोक सकता है।

डॉक्टर सरला सिंह जी ने अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के संबध में अपने अनुभव साझा करते हुए, अपनी पुस्तकों से कुछ कविताएँ भी पढ़ कर सुनाई, जिसकी सराहना में सभागार तालियों से गुँजित हो उठा।

राष्ट्रीय हास्य कवि महेंदर शर्मा जी ने अपनी विद्वता से सबका मन मोह लिया, जिनकी हास्य कविता के अँत में निहित सँदेश पर तालियों की गड़गड़ाहट ने अपने हस्ताक्षर किए।

अनुराधा प्रकाशन तथा सभी रचनाकारों को बधाई देते हुए  महेंन्द्र शर्मा जी ने उत्कर्ष मेल’ पाक्षिक समाचार पत्र में छपे मनमोहन शर्मा जी द्वारा लिखित सँपादकीय कॉलम और कविता मल्होत्रा जी द्वारा लिखित आध्यात्मिक लेख की प्रशँसा की

मनमोहन शर्मा ‘शरण’ जी और कविता जी ने संपादक मंडल के सदस्यों को सम्मानित किया जिनमे मधु मधुबाला जी, जसवंत सिंह तंवर, रितु गोयल जी रहीं। ( रितु गोयल जी का सम्मान पत्र अागरा से आईं अल्का अग्रवाल जी ने लिया )

अब बात करते हैं अपनी ज़मीन से जुड़े गगनचुँबी सँस्कारों के स्वामी पँकज शर्मा की –

प्रसिद्ध गीतकार, कवि, पत्रकार, आजतक चैनल के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर श्री पंकज शर्मा जी को अँग वस्त्र, पुष्प गुच्छ, एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

पंकज जी ने विमोचित पुस्तकों के लेखकों को और अनुराधा प्रकाशन परिवार को भव्य आयोजन के लिए बधाई देते हुए अपने कुछ गीत पढ़कर सुनाये जो सीधे रूह में उतर गए।

कुछ लोग तो केवल दौलत और रूतबे से बड़े होते हैं

पँकज छाया बाँटते वृक्ष,जो सँस्कारी मिट्टी में खड़े होते हैं

हर महफिल होती गुलज़ार जिसमें आप से नगीने जड़े होते हैं

रूह को स्पर्श करती पंकज शर्मा बेटे की रूहानी गुँजन रहती दुनिया तक अनाहद नाद बन कर तीन पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती रहे।

कविता मल्होत्रा जी और मनमोहन शर्मा जी द्वारा प्रकाशन की सहयोगी सदस्य शालिनी जी को सम्मानित किया गया।

काव्य पाठ में शामिल डॉक्टर सरला सिंह, मंगला रस्तोगी, रश्मि श्रीधर, जसवंत सिंह तंवर, प्रियंवदा ‘पीहू’ (वंदना), विनोद कुमार गुप्त (अटल मुरादाबादी), रेनू शर्मा (आगरा), डॉक्टर माधवी कुलश्रेष्ट, डॉक्टर मनोज मोक्षेन्द्र, डॉक्टर सुधीर सिंह, ललिता कटारिया, कविता मल्होत्रा, प्रेम वर्षा सेठी, अलका अग्रवाल (आगरा), शरद अग्रवाल (आगरा), शुभांगी कुमारी ‘चन्द्रिका’, कृष्णा शर्मा (फरीदाबाद), जय प्रकाश सूर्यवंशी (नागपुर), गंगा प्रशाद पाण्डेय ‘भावुक’ (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) तथा अन्य कवियों में हीरेन्द्र चौधरी ‘जापानी’, सरोज सिंह, नीलोफर नीलू, निर्मला गुप्ता, कमल पांचाल, शिव भारद्वाज ‘प्रेरक वक्ता’ रहे।

आयोजन की व्यवस्था के कुशल सहयोगी – शालिनी, उत्कर्ष तथा कमल पांचाल जी बधाई के पात्र हैं।

स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने वाला एक दिन भले ही बीता हो

है दुआ, अनुराधा प्रकाशन का अक्षयपात्र कभी न रीता हो

(उत्कर्ष मेल ब्यूरो)

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