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नफरत का आतंक

कातिल जहाँ बेखौफ है कौन सा ये देश है
कानून का है राज नहीं पर कहलाता प्रदेश है
जहाँ कत्ल को लानत नहीं इज्जत वो समझने लगे
भारत माता के आंगन में भी क्या विषधर साँप पलने लगे?

कितने दिन कितनी रातें कितने घण्टों में सजा मिलेगी
फाँसी से ज्यादा कुछ और क्या कानून की रजा मिलेगी
इस क्रूरता को देख फंदा फाँसी का भी शर्मिंदा है
मर गई इंसानियत पर नेताओं की दलील जिंदा है ?

ये हुआ कब, क्यों हुआ, हुआ कैसे ये बता रहे
शब्दों को मर्यादा में ढक हत्या की दास्तां सुना रहे
इस कुकृत्य का कौन जिम्मेदार है
देश और प्रदेश दोनों ही कर्णधार हैं?

भारत मे संविधान है और संशोधन का अधिकार है
उसमें ही निहित ऐसे दरिंदो का उपचार है
क्रूरतम घटना है सजा भी वैसी मिलनी होगी
फाँसी से बढ़कर भी कोई सजा चुननी होगी।

तय करे तुरन्त संविधान यहाँ कौन सा अनुच्छेद है
इतना बस काफी नहीं कि कत्ल के लिये खेद है
जहर की पौध को जल्दी ही मरना होगा
ऐसी घिनौनी सोच का भ्रूण हत्या करना होगा ।

© नीतू सिंह राय

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