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अनशन

   “कमली खाना खा ले बेटा ,जिद नहीं करते । देख ले खाना नहीं खायेगी तो कमजोर हो जायेगी।”

 “ठीक है माँ मैं खाना खा लूँगी पर तू भी मेरा एडमिशन करा दे ।”

 “नहीं बेटा तेरे पिताजी नहीं मान रहे हैं , कोई अच्छा रिश्ता मिल रहा है ,वे उसे छोड़ना नहीं चाहते हैं । तू भी जिद छोड़ दें ,चल खाना खा ले।

       “नहीं मैं नहीं खाऊँगी ।जब तक कि मेरा एडमिशन नहीं कराती ,मैं भी खाना नहीं खाऊँगी।

माँ हारकर हट गयीं,पर खाना उनके मुँह में भी नहीं गया । वे कमली को बहुत प्यार करती थीं।

              कमला को उसकी माँ प्यार से कमली बुलाती थीं । कमली एक सीधी-सादी सी ,दुबली पतली और लम्बे कद की लड़की थी । सूरत के साथ ही साथ  उसे सीरत भी खूब मिली थी  । माँ के घरेलू कामों में हाथ बँटाने के साथ ही साथ वह पढ़ने में भी बहुत ही होशियार थी । वह हमेशा अव्वल दर्जे से पास होती थी । उसे

केवल पढ़ाई से ही मतलब होता था ।कभी भी किसी चीज के लिए जिद नहीं करती थी । माँ तो उसे बहुत ही प्यार करती थी पर पिता के ही दिमाग में जाने क्या था की वह उन्हें बोझ ही

नज़र आती थी । उनको लगता था कि लड़की को जल्दी से जल्दी ब्याहकर उसके घर भेज देना चाहिए । उनके इस सोच में सहायक थी उनकी माता जी । उनका हमेशा यही कहना होता की लड़की पराया धन है ,उसे जल्दी से जल्दी ब्याहकर उसके घर भेज देना चाहिए। लड़की को बहुत पढ़ाकर क्या फायदा ,जाना तो उसे पराये घर में ही है ।

      “अरे कमली की माँ , कमली कहाँ है ? कल कुछ लोग उसे देखने के लिए आ रहे हैं । उससे कहो की ये अनशन -वनशन छोड़ दें और बात मान लें ।”

        “आज तीन दिन से उसने कुछ भी नहीं खाया है ,बस रो रही है और तुम्हें बस अपनी पड़ी है । कैसे कठोर बाप हो ।”

     “फिर क्या करूँ ? मैं उन लोगों को अब कैसे मना करूँ ? और फिर इतना अच्छा रिश्ता बार थोड़े ही मिलता है ?”

     “मना कर दो उन्हें, कैसे भी । नहीं करनी है अभी उसकी शादी । अभी तो वह पढ़ेगी ।”

 फिर तो माँ नाराज़ हो जायेंगी ।

 होने दो नाराज , बाद में उनको मना लिया जायेगा । और अगर अब भी आप नहीं मानेंगे तो मैं भी अनशन पर बैठ जाऊँगी ।

चलो देखता हूँ ,क्या करना है । बेटी के अनशन ने उनके कठोर हृदय पर भी अपना प्रभाव डाल दिया था ।

        बेटा कमली यहाँ आओ ,देखो तो तुम्हारे पिताजी क्या कह रहे हैं ?

हाँ बेटा, यहाँ आओ । कमली बेटा मैं कल ही तुम्हारा एडमिशन कराऊँगा ।अब खाना खाओ और अपनी माँ को भी खिलाओ । इन्होंने भी दो दिन से खाना नहीं खाया है ।

        कमली का मुरझाया चेहरा  फूल -सा खिल उठता है , आखिर उसका अनशन जो सफल हुआ था। वह माँ से लिपटकर रो पड़ी ।

डॉ.सरला सिंह “स्निग्धा”

दिल्ली।

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