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कौन जिम्मेदार?

ये धुआं दिवाली के बाद का

 मुझे तड़पा रहा

प्रदूषण चरम पर

 सांसे अटके बार-बार

इन पटाखों के शोर ने

धुआं- धुआं कर दिया

 ना दिखे  चांद

ना दिखे सितारे

प्रकृति की सुंदरता गायब

 बनावटी पटाखों से

किसी के हाथ में लगे

 किसी की आंखों में लगी

 ये पटाखों की लौ

 पशु- पक्षी छिप रहे

 किसी के दिल में बैठा शोर

 कोई इंतजार में

एक दिये को

रात्रि गुजारी जलाते -जलाते

अब मचेगा कोहराम

 प्रदूषण का आतंक देख

 कोई सरकार को कोसेगा

कोई प्रशासन को कोसेगा

अपनों को कोसेगा ना कोई

अपनों को किसी ने ना रोका

अपनें  जब फैला रहे थे

 हवा में जहर

 बता जिम्मेदार कौन है

 में!तू !या फिर सरकार?

सीमा रंगा इन्द्रा

बाड़मेर

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