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बुजुर्ग दम्पत्ति से किसी ने पूछा

बुजुर्ग दम्पत्ति  से  किसी ने पूछा,

बच्चों से अलग कैसे रह जाते हैं?

प्रवासी बच्चे दूर हैं आपलोगों से,

‘कोरोना-काल’ कैसे  गुजारते हैं?

ठहाका लगाते हुये बुजुर्ग ने कहा,

कैसे समझ रहे हैं बच्चे अलग हैं?

प्रतिपल पास में पाता हूँ सबों को,

उनकी छवि  ही  हमारा संबल है।

क्या भगवानअपने सब संतान से,

खुद को कभीअलग रख पाते हैं?

वैसे ही होते हैं सबके माता-पिता,

जो संतान के सदा  साथ रहते हैं।

भ्रम सबको प्रायः भटका देता है,

प्रेम रिश्ते को भूलने नहीं देता है।

हृदय में छिपा मधुर वात्सल्य ही,

हमदोनों को आनंदित रखता है।

माँ-बाप का शुभाशीष बच्चों को,

सदा ऊर्जस्वित  करता  रहता है।

वहीआशीर्वाद उनलोगों के लिए,

अभेद्य रक्षा-कवच बन जाता है।

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