Latest Updates

मिले मेढक कॉकरोच

मिले मेढक कॉकरोच, भोजन में आज फिर

कल मध्यान्ह भोजन में, था छिपकली का सिर

था छिपकली का सिर, योजना है अति भारी

बड़ा है कष्टप्रद, यह आदेश सरकारी

अनपढ़ ही रह जाएँ, भले शिक्षा ही न मिले

बच्चों को मध्यान्ह, का भोजन अवश्य मिले।

2

मँहगाई के दौर में, ज़िन्दा है ईमान

 अचरज होता देख कर, है कैसा इंसान

है कैसा इंसान, बड़ा यह जीवट वाला

रचा किसने इसको, ये जग से है निराला

किस से करूं बयान, बड़ी बातें दुखदाई

चला जाता है सब, जाती नहीं मँहगाई।

3

आंदोलन के नाम पर, फूँक रहे घर द्वार

लूट पाट दंगा करें, करें खुला संहार

करें खुला संहार, सियासत गहरी जिनकी

चलती रहे दुकान, सदा नफ़रत की

उनकी फूट डाल अलगाव, फैलाते चारों धाम

करते हैं व्यापार, ये आंदोलन के नाम।

(अजय कुमार पाण्डेय )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *