Latest Updates

लघुकथा “माघी पूर्णिमा”

माघी पूर्णिमा था।युगल बाबू अपनी पत्नी के साथ गंगा नहाने की योजना को साकार करने घर से निकलने की तैयारी कर रहे थे।धार्मिकता से रोम-रोम में डूबी पत्नी बहुत खुश थी।अपना साड़ी कपड़ा एक झोले में रख याद कर पूजा का सभी सामान अन्य झोले में रख एक तांबा का लौटा खोजने लगी।तभी उनका प्यारा सा पोता अंश उम्र छह साल उन्हें लोटा देता हुआ बोला “दादी मैं भी गंगा नहाने चलूं।”

“जा बेटे अपने पापा से पूछ ले” उसके पापा रणधीर सब देख सुन रहे थे।

उन्होंने पापा से से कहा “ले जाइए।

होश में पहली बार गंगा स्नान करेगा।ध्यान रखिएगा ज्यादा पानी में न जाय।नटखट बहुत है।”

“हाँ-हाँ पूरा ध्यान रखूंगा”

रणधीर ने अंश से कहा “दादाजी के साथ ही रहना।भीड़ में हाथ पकड़े रहना।छोड़ना नहीं।”

“हाँ पापा।वैसे अब हम बड़े हो गए हैं। बच्चा थोड़े ही हैं।”

“ठीक है।पर मेरी बात याद रखना।”

   ऑटो रिक्शा कर सभी बरारी घाट पहुंच गए। माघी पूर्णिमा के कारण घाट पर अपार भीड़ थी।अंश दादाजी का हाथ पकड़े पकड़े

गंगा किनारे पहुँच गया।

   दादाजी एक सुरक्षित स्थान देख

अपनी पत्नी को रुकने बोल अंश को लेकर नहाने चले गए।अंश को दो डुबकी लगवाकर उसे दादी पास

जाने बोलकर खुद नहाने लगे।

    अंश इतनी जल्दी कहाँ मानने वाला था।दादा से नजरें बचाकर पानी में मस्ती करने लगा।तभी देखा एक नारियल और सुंदर माला घाट किनारे ही पानी में बह रहा है

जिसे लेने दो तीन लड़के  उसके पीछे पड़ा है।ये भी कहाँ मानने वाला।भीड़ गया उसी होड़ में।

कब डुबाव पानी मे चला गया युगल बाबू नहीं देख पाए।कोई “चिल्लाया किसका बच्चा है?बचाओ बचाओ।”

युगल बाबू का एकाएक ध्यान गया।जोड़ से चिल्लाकर आग्रह करते हुए बोले “कोई बचाओ भाई कोई बचाव।लगभग रोने से लगे।कुछ पल में ही कई देवी देवताओं को सुमरने लगे।आँखे बंद कर ली थी।अंश की दादी भी अपना कपड़ा लत्ता छोड़ लगा जैसे लगा गंगा में धौंस दे देंगी ।उंन्हे तो लग रहा था क्या मुँह लेकर घर लौटूंगी।उन्होंने गंगा माँ से कई मन्नते करते हुए धौंस देने ही वाली थीं कि

 तभी एक किशोर अंश को गोदी में लिए युगल बाबू के हाथ में दिया।युगल बाबू अपनी कमर से निकाल एक हजार रुपया उसे उसे पारितोषिक देना चाह रहे थे,तबतक लड़का भीड़ में कहाँ गुम हो गया कुछ पता न चला।

युगल बाबू पुनः आँखे बंद कर रोने लगे।अंश की दादी गंगा माँ को दुहाई देते हुए उसे अंक में भर प्यार में डूब गई।

नन्हें, भागलपुर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *