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ग़ज़ल : अभी तेरी कहानी में मेरा किरदार जिंदा है

भले में मर गया हूँ पर मेरा मेआर जिंदा है

अभी तेरी कहानी में मेरा किरदार जिंदा है

गिराओ खूब नफरत से भरे शोले मेरे घर पर

हर इक शय की हिफाज़त को मेरा सरकार जिंदा है

अभी भी श्याम जिंदा है अभी भी राम जिंदा है

ज़मीं पे मेरे मालिक का हर इक अवतार जिन्दा है

नहीं है फ़िक़्र तक मुझको पडोसी के इरादों की

अभी घर की निगहबानी को चौकीदार जिंदा है

मेरी चुप्पी को हरगिज़ भी न मेरी बुझदिली समझो

पुरानी  हो चुकी  तलवार फिर भी धार जिंदा है

बहुत दूरी है अब हम में बहुत  मुश्किल है मिल पाना

मगर ये कम है क्या अब भी हमारा प्यार जिंदा है

AADARSH DUBEY

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