चारो तरफ मेरे देश भारत में देशभक्तों की टोली हो।
हैं देशद्रोही जो भारत में बैठे उनके सीने में गोली हो।
परमाणु बम से घातक पनपे आतंकवादी वायरस ये,
जो भारत मुर्दाबाद कहे अब उनके खून से होली हो।
टुकड़े गैंग अलगाववादियों को धरा से कुचल डालो,
तन पर भगवा मन में राम मस्तक पर लाल रोली हो।
एक कपूत ना रहे पावन धरा पर उठो वीरों हुंकार भरो,
यत्र तत्र सर्वत्र सपूतों से भरी मां भारती की झोली हो।
यूं एक ही राग में एक ही साज से गाते फिरे सब मिल,
सबके हाथों में रहे तिरंगा मुख इंक्लाब की बोली हो।
संजय सिंह राजपूत बागी बलिया उत्तरप्रदेश