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कैसे कैसे लोग

    ..दोपहर की तेज चिलचिलाती धूप में रीना

बारबार पसीना पोंछती हुई रिक्शेवाले का इंतजार कर रही थी । सामने से ही बहुत सी साथी शिक्षिकाएं अपनी अपनी गाड़ियों से निकल रहीं थी पर सभी के रास्ते अलग अलग

थे । तभी सामने एक गाड़ी रुकी ।

     “अरे रीना जी कैसे खड़ी है ?” करीना मैम ने

रीना मैम को सड़क पर खड़े देखा तो अपनी गाड़ी रोककर पूछ ही लिया ।

  “कुछ नहीं रिक्शा नहीं मिल रहा है उसी का इंतजार कर रही हूँ ।” रीना ने थोड़ा मायूसी से

कहा ।

 “चलिए मैं आपको छोड़ देती हूँ ।” करीना ने

कहा ।

 “अरे नहीं मैम आप जाइए ,मेरा रास्ता बिलकुल

उल्टा है ।आपका रास्ता तो बिल्कुल अलग है ।”रीना ने कहा और एक बार फिर रिक्शे के लिए नजर दौड़ाया ।

 ” आइए तो सही मैं उधर से मोड़कर चली जाऊँगी ,आप आइए ।” कहते हुए करीना मैम

ने गाड़ी का दरवाजा खोल दिया ।

    रीना गाड़ी में बैठते हुए बोली ,”धन्यवाद मैम

वाकई धूप बहुत तेज है ।”करीना मैम ने रीना जी को उनके घर ले जाकर छोड़ा फिर अपने

घर गयीं ।

         रीना अपने मन में सोचती रही की आज भी अच्छे लोगों की कमी नहीं है ।और ऐसा फिर कई बार हुआ जब करीना मैम ने रीना मैम

को उनके घर तक पहुँचाया ।

          करीना जी सरकारी स्कूल में ड्राइंग की एक बहुत ही अच्छी शिक्षिका थीं ।अपने काम  के लिए  पूर्णतया  समर्पित । यही नहीं कई बार तो वे स्कूल के ही काम के लिए छुट्टी के बाद भी घंटो रुकी रहती थी । बच्चों के मदद के लिए हमेशा तैयार रहती और बच्चे भी उन्हें बहुत ही मानते थे । वे किसी भी जरूरतमन्द बच्चे की मदद बिना किसी दिखावे के चुपचाप करती थीं

। साथी शिक्षिकाओं के लिए भी कई तरह की

खानेवाली चीजें बना लातीं थीं । और फिर सबको खिलाती थीं । होली दिवाली पर चतुर्थ

श्रेणी के कर्मचारियों का पूरा ध्यान रखतीं । वे

शारीरिक रूप से थोड़े भारी शरीर वाली थी और इसी कारण उनका काम थोड़ा धीमे गति से जरूर होता पर वे अपने काम के साथ कभी

भी नाइंसाफी नहीं करती थीं ।

    घर में भी अपने सारे काम पूरी इमानदारी के

साथ पूरा करती थीं । अपने 90 वर्षीय ससुर जी का ध्यान बहुत अच्छी तरह रखतीं तथा उनकी देखभाल बिलकुल अपने बच्चों की तरह ही करतीं थी , अपने हाथों से खाना खिलाती व

उनके साफ सफाई का ध्यान वे स्वयं रखतीं ।

             करीना जी में कहा जाय तो बस एक ही कमी थी की वह किसी की चापलूसी नहीं

कर पाती थीं बाकी और कोई भी कमी उनमें

नहीं नजर आयी ।

    एक दिन वे बहुत ही धीमे धीमे चल रही थीं

तभी कुछ लोगों ने पूछा ,”क्या हुआ मैम पैर में

क्या हुआ ।”

  “क्या बताऊँ पैर में सूजन आ गया है।”    

डॉ.को दिखाया ?रीना ने व्यग्रता से पूछा।

हाँ ,दिखाया है ,वे सभीवजन कम करने के लिए कहते हैं । क्या करूँ? वजन कम ही नहीं हो रहा है ।

        उनका पैर बहुत ही ज्यादा सूजा हुआ था जिसके कारण उन्हें खुला चप्पल पहनना पड़

रहा था । किसी ने आराम करने की सलाह दी

किसी ने कोई दवा ही बताई । बहुत से लोग

उनकी दशा देखकर दुखी थे । उन्हीं में कुछ ऐसे

भी लोग थे जो उनकी उस दशा का भी मजाक

बनाने से बाज नहीं आ रहीं थी । उनका इरादा

उस शिक्षिका का स्थानांतरण कराना भी था ताकि वे अपनी ही जानपहचान वाली को उसके

बदले में बुला सकें ।गर्मियों की छुट्टी में सारा ही

शतरंज का खेल खेला गया । उन लोगों ने जाने

क्या क्या कहकर  प्रधानाचार्या जी के कान भरने शुरू कर दिये और करीना का स्थानांतरण करवा दिया उधर अपनी एक करीबी रिश्तेदार का स्थानांतरण उस स्कूल में करवा लिया ।

        विद्यालय खुलते ही पहले ही दिन हँसते हुए विद्यालय में प्रवेश किया तो उन्हें अपने ही

स्थानांतरण की खबर मिली । वह स्कूल बहुत ही दूर था । पैर के सूजन और बीमारी के कारण इतने अधिक दूर गाड़ी चलाकर जाना बहुत ही मुश्किल कार्य भी था । वे स्तब्ध हो गयीं उनकी

समझ में नहीं आ रहा था की यदि मैने स्वयं स्थानांतरण नहीं कराया तो यह कैसे हो गया ? पता चला की यदि प्रधानाचार्या चाहें तो किसी का भी स्थानांतरण गोपनीय तौर पर करवा सकती हैं। कुछ कारण देने होते है बस। करीना प्रिंसिपल के पास पहुंची तो उन्होंने इस कार्य में अपना हाथ होने से साफ इंकार कर दिया ।                           करीना मैम का यह धक्का बहुत ही भारी पड़ा । वह  बहुत ही ज्यादा बीमार पड़ गयीं।उन्हें कुछ समय आई.सी.यू. में भी रखना पड़ा ।

       धीरे धीरे वे स्वस्थ होने लगीं । गाड़ी चलाने के लिए एक ड्राइवर रख लिया । नये स्कूल के लोगों ने उनका पूरा सहयोग किया ।जीवन फिर अपने ढर्रे पर चलने लगा । लेकिन मन हमेशा ही यही कहता रहा कैसे कैसे लोग दुनिया में हैं ?

डॉ.सरला सिंह “स्निग्धा”

  दिल्ली

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