Latest Updates

पितृदिवस पर कनाडा से “मनस्विनी” समूह के सभी सदस्यों के सहयोग से स्वरचित पंक्तियां

न मेरी आंख ही फड़की
न ही हिचकियाँ आईं
मगर फिर भी यें लगता हैं
कि कोई याद करता हैं….
वो ओर कोई नहीं मेरे पापा…
पापा की दुलारी,
थोड़ी बिगड़ी, थोड़ी प्यारी
सुबह जल्दी जगाते हैं पापा,
नौ बजे रात मैं बत्ती बुझाते है
सदैव याद में आते
मेरे प्यारे पापा
उनकी दिलचस्प बातें
ज्ञान से भरी नसीहतें
उनकी किताबों का भंडार
अनुशासन में छिपा प्यार
मेरे प्यारे पापा
पापा की जब भी याद आती है
तो एक प्यारा सा चेहरा सामने आता है, साथ में ढेर सारा आशीर्वाद भी…
पापा मैं आपका मन तो पढ़ सकती हूँ ना जो हर समय कहता है बहुत दूर चली गई है ,
पर साथ में ख़ुश भी हैं कि हम यहाँ पर अपनों से दूर पर अपनों के बीच में हैं..
बरसों तक बिन, बिन मोती जिंदगी के लाता, बनाता हार हमारे लिए… हमारी हर खुशी में आज भी शामिल वो…
मेरे प्यारे पापा…
ना कभी डाँटा,
ना ही की कोई सख्ती
मैं और पापा
और भरपूर मस्ती
सारी बातें ..
खेल खेल मे सिखाई
ना ही सिसकियाँ थीं
ना ही रुलाई
बहुत याद आते हैं
यादों को क्या ढूंढे
पापा तो बस आज दिल में हैं
हिम्मत और भरोसा
सपनों की उड़ान
सब थम सा गया है ।
जब जब पैर हैं लडखडायें
उन्होंने ही थामा है
ज्ञान , समझ या हिसाब किताब पापा से ही तो जाना
माँ पेड़ की छाया जैसी
पापा थे बरगद का पेड़
पापा के दिल की धड़कन थी
उनकी बेटियाँ—
पापा उसूलों के थे बेहद पक्के
बेटे-बेटी में कोई फ़र्क़ नहीं था
दोनों पर अनुशासन एक जैसा
मैं पापा की छवि हूँ
उन जैसी ही दिखती हूँ
झिलमिल झिलमिल आँखों से
मन तत्पर हिचकोले खाता है
ताजा मस्त हवा के झोंकों से
बचपन की गलियों में जाता है
उड़न खटोले की स्वच्छंद उड़ान से आसमां जैसे छोटा पड़ जाता है
मेरे पापा का प्यारा नाम आते
हृदय वापिस बच्ची हो जाता है
पापा आपकी सुनहरी यादें
मेरे को अच्छे संस्कारों से संवारने वाले पापा
सुख हो या दुख सबसे पहले पापा आप ही तो याद आते हो.न मेरी आंख ही फड़की
न ही हिचकियाँ आईं
मगर फिर भी यें लगता हैं
कि कोई याद करता हैं….
वो ओर कोई नहीं मेरे पापा…
पापा की दुलारी,
थोड़ी बिगड़ी, थोड़ी प्यारी
सुबह जल्दी जगाते हैं पापा,
नौ बजे रात मैं बत्ती बुझाते है
सदैव याद में आते
मेरे प्यारे पापा
उनकी दिलचस्प बातें
ज्ञान से भरी नसीहतें
उनकी किताबों का भंडार
अनुशासन में छिपा प्यार
मेरे प्यारे पापा
पापा की जब भी याद आती है
तो एक प्यारा सा चेहरा सामने आता है, साथ में ढेर सारा आशीर्वाद भी…
पापा मैं आपका मन तो पढ़ सकती हूँ ना जो हर समय कहता है बहुत दूर चली गई है ,
पर साथ में ख़ुश भी हैं कि हम यहाँ पर अपनों से दूर पर अपनों के बीच में हैं..
बरसों तक बिन, बिन मोती जिंदगी के लाता, बनाता हार हमारे लिए… हमारी हर खुशी में आज भी शामिल वो…
मेरे प्यारे पापा…
ना कभी डाँटा,
ना ही की कोई सख्ती
मैं और पापा
और भरपूर मस्ती
सारी बातें ..
खेल खेल मे सिखाई
ना ही सिसकियाँ थीं
ना ही रुलाई
बहुत याद आते हैं
यादों को क्या ढूंढे
पापा तो बस आज दिल में हैं
हिम्मत और भरोसा
सपनों की उड़ान
सब थम सा गया है ।
जब जब पैर हैं लडखडायें
उन्होंने ही थामा है
ज्ञान , समझ या हिसाब किताब पापा से ही तो जाना
माँ पेड़ की छाया जैसी
पापा थे बरगद का पेड़
पापा के दिल की धड़कन थी
उनकी बेटियाँ—
पापा उसूलों के थे बेहद पक्के
बेटे-बेटी में कोई फ़र्क़ नहीं था
दोनों पर अनुशासन एक जैसा
मैं पापा की छवि हूँ
उन जैसी ही दिखती हूँ
झिलमिल झिलमिल आँखों से
मन तत्पर हिचकोले खाता है
ताजा मस्त हवा के झोंकों से
बचपन की गलियों में जाता है
उड़न खटोले की स्वच्छंद उड़ान से आसमां जैसे छोटा पड़ जाता है
मेरे पापा का प्यारा नाम आते
हृदय वापिस बच्ची हो जाता है
पापा आपकी सुनहरी यादें
मेरे को अच्छे संस्कारों से संवारने वाले पापा
सुख हो या दुख सबसे पहले पापा आप ही तो याद आते हो.
पापा तो हमेशा हमारी यादों में पास हो या दूर, रचे-बसे रहतें हैं…
पापा तो हमेशा हमारी यादों में पास हो या दूर, रचे-बसे रहतें हैं…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *