*ये जो सीने में मेरे
. बाई और रहता हैं
बखूबी सारे रिश्ते
निभाने को कहता है,
हम काम में उलझ जाते तो,
तो ये प्रकृति की
धड़कन सुनाता है
तर्क की बेरंग दुनिया में
ये इश्क़ का रंग भरता है
अक़सर यादों की सैर कराता है
ये जो सीने में मेरे
बाईं ओर रहता है
बहुत बार —
यह स्वयं में ही
उलझा सा रहता है
दर्द का अहसास भी
अपने तक रखता है
ये जो सीने में
बाईं और रहता है
कभी-कभी बिना बात ही
उलझन बहुत बढ़ाता है
कभी हँसाता, कभी रूलाता
परेशानी यूँही बढ़ाता है
ये जो सीने में
बाईं ओर रहता है
दिल की टिक – टिक
जब तक साथ है
दोस्ती बरकरार हैं
ये कितना भी उड़
लें पर लौट कर
तो दिल अजीजों
के पास ही आयेंगा
ये जो सीने में मेरे
बाई ओर रहता हैं
न जीने देता
न मरने देता हैं
हर वक्त धड़कता है
न सोने देता है,
जगाता रहता है
ये बाईं ओर रहता है
थोड़ा सा जिद्दी,
थोड़ा सा कोमल
संभाला ही नहीं जाता
ये तो हर एक पल मचलता है
ये जो सीने में मेरे
बाईं ओर रहता है
वक़्त का क्या है ज़नाब
कभी भी बदल जाता है
तुझसे से है जीवन में आब
मेरा प्यारा दिल धड़कता है
ये जो सीने में मेरे
बाई ओर रहता हैं
मनस्विनी समूह (किचन से कलम तक) वैकुवर कनाडा