Latest Updates

अनुरागी माँ (कविता-8)

कन्टकमय पथ विपदाओं में , उसने चलना सिखलाया है । निज बाँह- पालने झुला- झुला , अधरों से चूम सुलाया है ।। अज्ञान- तिमिर जब गहराए , तब दिव्य- ज्ञान लेकर आई । संसार- सरित ……… । संसार ……….. तुम हो उदारिणी कल्याणी , काली अम्बे सम शक्तिमयी । जगवीर प्रसविनी सृष्टि बिन्दु , विदुषी…

Read More