नारी (कविता-9)
नारी नारी कुल की मर्यादा है। नारी उपहास की चीज नहीं। जो मान घटाए नारी का, तो उसको कोई तमीज नहीं।। सम्मान आबरू है नारी। सब कुछ समाज पर है वारी। आगे बढ़ने दो नारी को, उसकी सीमा दहलीज नहीं,,,,,,, प्रसव की पीड़ा कौन कहे। हर गम को नारी मौन सहे। सब्र का दूजा नाम…