कविता और कहानी डर admin5 years ago01 mins अब तो मैं घर से निकलती नहीं फिर भी आदमियों से डरती हूँ मैं माँ रोज़ जब स्कूल जाती हूँ रिक्शे वाले की टच से डरती हूँ मैं माँ गेट पर गार्ड रोकें मुझे कभी सहम के बैग छाती से चिपकाती हूँ माँ कुछ खरीदने भेजती हो जब दुकानदार के हाथ पकड़ने से डरती हूँ… Read More