प्यासे पंछी
***प्यासे पंछी*** वो भी तो एक ज़माना होता थाघर में हमारा चहचहाना होता थाअन्न के दाने और जल भी जबहमारे लिए भी घर में होता था…. घर में घोंसला भी बन जाता थातिनकों का महल सज जाता थानन्हें नन्हें बच्चों के कलरव सेघर गुंजायमान हो जाता था….. पर आह..!! मनुष्य ये क्या कियावृक्ष काट के…