Latest Updates

स्वयं को पहचान लो

 कुछ ठान लो अपने मन में,                 आ स्वयं को पहचान लो।  भीड़ भरी इस दुनिया में,             तुम भीड़ नहीं हो जान लो।  चलो प्रकृति की गोद में,             फिर खुशियों की कुटी छवायें।  वादियों के आँगन में,     …

Read More

आश्चर्य (लघुकथा)

आज सुबह जितेश का फ़ोन आया; हिमांशु ने फ़ोन रिसीव किया बोला: हेल्लो, क्या हालचाल जितेश, कैसे हो ?जितेश बोला; क्या भाई तबियत खराब है ?”भाई जितेश तुम अब बार-बार बिमार कैसे हो जाते हो ?” हिमांशु ने पूछा ! “भाई याद है मुझे आज भी वह दिन जब मै बच्चा था,और गाँव में रहता था…

Read More