बलजीत सिंह ‘बेनाम’ की 2 ग़ज़ल व परिचय
ग़ज़ल 1 हम उसे देख कर गए खिल से आँख में ख़्वाब भी हैं झिलमिल से आपका ख़त मुझे मिला लेकिन हाथ मेरे गए थे कुछ छिल से ख़ुद को उसके हवाले करके मैं दोस्ती कर रहा हूँ क़ातिल से मौत क्या रास उनको आएगी ज़िंदगी से फिरे जो ग़ाफ़िल से दर्द उसका वहाँ भी…