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वर्तमान परिवेश में कबीर पंथ अति प्रासंगिक

(कबीर जयंती के अवसर पर) डॉ नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘ यह तो घर प्रेम का, खाला का घर नाही ।सिर उतारे भूंई धरे , तब पैठे घर माही ।।कबीर जी के समाज पशुओं का झुंड नहीं है उसके दो तत्व हैं रागात्मकता और सहचेतना अर्थात मानव समाज में रागात्मक रूप से एक अतः संबंध…

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आओ अपने सपनों को एक नया आयाम दें।

आओ अपने सपनों को एक नया आयाम दें। उजले रंग दें इक नई पहचान दें। बदल रही है दुनिया बड़ी तेजी से तुम भी ऐसे बदलो कि सब अच्छा कहें। आओ अपने सपनों को======= अच्छे संस्कारों से शुद्ध करलें आत्मा को ईश्वर पर एकाग्रता से ध्यान दें। आप जब होंगे पवित्र और प्यार होगा दिल…

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